Champai Soren Government Floor Test: हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद चंपई सोरेन को झारखंड की कमान मिली है. चंपई सरकार को आज (सोमवार, 05 फरवरी) विधानसभा में फ्लोर टेस्ट की अग्निपरीक्षा पास करनी होगी. शक्ति परीक्षण को लेकर सभी दलों ने व्हिप जारी कर दिया है. विश्वास प्रस्ताव के दौरान सदन में शामिल होने के लिए सभी सत्ताधारी विधायक हैदराबाद से रांची पहुंच गए हैं. रविवार (04 फरवरी) की रात सभी विधायक रांची सर्किट हाउस में रुके. बता दें कि विधायकों को हॉर्स ट्रेडिंग से बचाने के लिए चंपई सोरेन के शपथ ग्रहण के बाद ही सत्तारूढ़ गठबंधन के 35 विधायकों को एक चार्टर्ड प्लैन से हैदराबाद भेज दिया गया था.


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सभी विधायकों को आज एक बस के जरिए सीधे विधानसभा ले जाया जाएगा. विश्वास प्रस्ताव के दौरान पूर्व सीएम हेमंत सोरेन भी विधानसभा में मौजूद रहेंगे. मुख्यमंत्री चंपई को अब क्रॉस वोटिंग का खतरा सता रहा है. दरअसल, चंपई की ओर से राज्यपाल को सिर्फ 41 विधायकों के हस्ताक्षर किया हुआ ही समर्थन पत्र दिया गया है. विधानसभा का अंकगणित इतना टाइट है कि अगर एक भी विधायक इधर-उधर होता है, तो मामला लटक सकता है. विपक्ष में बैठी बीजेपी को भी सरकार बनाने के लिए सिर्फ कुछ ही विधायकों की जरूरत है. 


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क्या है विधानसभा का गणित? 


बता दें कि झारखंड विधानसभा में कुल सदस्यों की संख्या 82 है, जिसमें से एक मनोनीत है. हालांकि एक सीट रिक्त है. यानी कुल 81 में से सरकार बनाने के लिए 41 विधायकों की जरूरत है. 29 विधायकों के साथ JMM सबसे बड़ी पार्टी है. कांग्रेस के पास 17 विधायक हैं. आरजेडी-सीपीएम के पास एक-एक सीटें हैं. कुल मिलाकर सत्तारूढ़ इंडिया ब्लॉक के पास 48 विधायक हैं. हालांकि चंपई सोरेन ने राज्यपाल को विधायकों के समर्थन का जो पत्र सौंपा है, उस पर 43 विधायकों के ही हस्ताक्षर हैं. वहीं 26 विधायकों के साथ बीजेपी विधानसभा में दूसरी बड़ी पार्टी है. आजसू के तीन, एनसीपी (अजित पवार गुट) के एक और दो निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी बीजेपी के साथ है.


क्या फिर निर्दलीय बिगाड़ेगा गेम?


बहुमत साबित करने के लिए चंपई सोरेन एक-एक विधायक से संपर्क कर रहे हैं. वहीं जमशेदपुर पूर्वी के निर्दलीय विधायक सरयू राय ने उनको बड़ा झटका दिया है. उन्होंने घोषणा कर डाली है कि वे चंपई सरकार को समर्थन नहीं करेंगे. सरयू राय ने यह भी कहा कि सत्तापक्ष अथवा विपक्ष किसी ने उनसे अपने पक्ष में मतदान के लिए संपर्क भी नहीं किया है. ऐसी स्थिति में वह विश्वास मत पर वोटिंग के दौरान तटस्थ रहेंगे. बरकट्ठा के निर्दलीय विधायक अमित कुमार यादव ने कहा कि उनका वोट राज्य हित में होगा. उन्होंने भी सरकार के विपक्ष में वोट करने की बात कही है.


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निर्दलीय को सीएम बना सकती है BJP?


क्या कोई निर्दलीय विधायक मुख्यमंत्री बन सकता है? ये सवाल इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि झारखंड में यह कारनामा पहले हो चुका है. 18 सितंबर 2006 में निर्दलीय विधायक मधु कोडा झारखंड के मुख्यमंत्री बन चुके हैं. वह एक निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में मुख्यमंत्री बनने वाले पहले व्यक्ति थे. अब अटकलें लगाई जा रही हैं कि चंपई सोरेन का गेम खराब करने के लिए बीजेपी एक बार फिर से किसी निर्दलीय को सीएम बनवा सकती है.