Bihar Politics: नीतीश के खिलाफ मांझी का दलित कार्ड, कहा हर गाली और बेइज्जती का करारा जवाब मिलेगा
बिहार में महागठबंधन से अलग होने के बाद से ही हम के नेता और पार्टी के संयोजक जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है.
Bihar Politics:बिहार में महागठबंधन से अलग होने के बाद से ही हम के नेता और पार्टी के संयोजक जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. ऊपर से नीतीश कुमार के द्वारा जिस तरह से बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी का अपमान सदन में किया गया उसके बाद से तो वह नीतीश कुमार के खिलाफ अपने बयानों के तीर चलाने से थोड़ा भी नहीं कतरा रहे हैं. कभी नीतीश जी जो कहेंगे वहीं करूंगा कहने वाले जीन राम मांझी अब उनके खिलाफ एकदम सक्रिय तरीके से मैदान में आ गए हैं.
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नीतीश कुमार पर एक बार फिर अपने बयानों से हमला करते हुए जीतन राम मांझी ने अपने एक्स अकाउंट पर किए गए पोस्ट में लिखा कि नीतीश जी वैसे तो दलितों को तुम तड़ाक और गंदी भाषा से ही संबोधित करतें रहें हैं पर कम से कम मंत्री पद की गरिमा का तो ख्याल रखतें. मुझे गाली दी तो रत्नेश जी CM के पक्ष में खडे हो गएं देखिए पक्ष लेने का नतीजा.
“गालीबाज” नीतीश कुमार जी आपके हर गाली और बेईज्जती का करारा जवाब मिलेगा.
दरअसल सीएम नीतीश कपमार जेडीयू कू तरफ से आयोजित भीम संसद के कार्यक्रम में पहुंचे थे और यहां मंच पर बैठे मंत्री रत्नेश सदा की ओर इशार करते हुए कहा कि 'तोरा हम मंत्री ना बनाएं हैं, जनबे नहीं करते हैं बैठो'. यही बात जीतन राम मांझी को अखड़ गई और इसके बाद से ही नीतीश कुमार जीतन राम मांझी के निशाने पर आ गए हैं.
जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए कहा कि भीम संसद बुलाया था और विज्ञापन में रत्नेश सदा और नील का नाम तो है लेकिन फोटो नहीं हैं. भीम राव अंबेडकर जी के नाम पर भीम संसद कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं लेकिन इनके फोटो से परहेज कर रहे हैं.
वहीं जीतन राम मांझी के इस बयान के समर्थन में भाजपा भी खड़ी नजर आई. भाजपा के नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने कहा कि जो व्यक्ति आज अंतिम पंक्ति में बैठा है उसे वहां बैठने वाला किसने बनाया ये सभी को समझ आ रहा है. वहीं भाजपा के प्रवक्ता प्रभाकर कुमार मिश्रा ने जदयू के इस कार्यक्रम को चुनावी स्टंट बताते हुए कहा कि इस कार्यक्रम के आयोजन में दलितों के हित का कोई एजेंडा नहीं है. दलितों के शीर्ष नेता का सदन में अपमानित किया जाता है और इसकी क्षतिपूर्ति के लिए यह आयोजन कराया जाता है. ऐसे में प्रदेश का दलित समाज इस बात को अच्छी तरह से समझ रहा है.