पटना: बिहार में नीतीश कुमार के नए मंत्रिमंडल का 16 अगस्त को कैबिनेट का विस्तार किया. इसमें कुल 31 विधायकों को मंत्री बनाया गया. शपथ लेने वाले मंत्रियों में लालू यादव की पार्टी आरजेडी के विधायक कार्तिकेय सिंह भी शामिल हैं, जिन्हें नीतीश कुमार की नई सरकार में कानून मंत्री बनाया गया है. शपथ लेने के साथ ही कार्तिकेय सिंह विवादों में घिर गए. दरअसल, जिस दिन कार्तिकेय मंत्री पद की शपथ ले रहे थे, उन्हें उसी दिन कोर्ट में सरेंडर करना था. 


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कौन है कार्तिकेय कुमार?
मोकामा के रहने वाले कार्तिकेय सिंह मंत्री बनने से पहले शिक्षक भी रह चुके हैं. समर्थकों के बीच वो 'कार्तिकेय मास्टर' के नाम से मशहूर हैं. पूर्व बाहुबली विधायक अनंत सिंह के करीबी होने का नाते उनकी ठेकेदारी प्रथा में निखार आ गई.  वर्ष 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद कार्तिक मास्टर और अनंत सिंह की दोस्ती परवान चढ़ी थी. आगे अनंत सिंह के चुनावी रणनीतिकार के रूप में कार्तिकेय ने खुद को साबित किया. जानकारी है कि अनंत सिंह के लिए सभी राजनीतिक दांव-पेंच पर्दे के पीछे से कार्तिकेय की मदद से ही अनंत सिंह संभालते हैं. इसलिए वो अनंत सिंह की पहली पसंद और सबसे बड़े विश्वासी हैं. 


क्यों जारी हुआ वारंट?
करीब सात साल पहले दानापुर थाना क्षेत्र के बिहटा इलाके में राजू सिंह का अपहरण हुआ था. जिसमें जांच के दौरान कार्तिक सिंह का भी नाम जुड़ गया था. जिसको लेकर दानापुर कोर्ट ने सम्मन जारी किया था. हालांकि कार्तिक सिंह का कहना है कि अनुसंधान के दौरान उनका नाम हटा दिया गया था. ऐसे में ये सवाल उठता है कि इस मामले की सच्चाई क्या है और मामला कहां पर फंसा हुआ है पुलिस इस बारे में अभी नहीं बता रही है. बता दें कि नीतीश कुमार के नए कानून मंत्री कार्तिकेय कुमार उर्फ मास्टर साहब भूमिहार जाति से आते हैं. 


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लालू ने बनाया विधान पार्षद 
कार्तिकेय सिंह आरजेडी के विधान पार्षद हैं. विधान परिषद चुनाव में उन्होंने जेडीयू के उम्मीदवार वाल्मीकि सिंह को हराया था. नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने जब वाल्मीकि सिंह को विधान परिषद का टिकट दिया तो अनंत सिंह ने तेजस्वी यादव से कहा था कि वो खुद कार्तिकेय सिंह की जीत की गारंटी लेते हैं. उम्मीदवार कार्तिकेय की उम्मीदवारी की घोषणा लालू प्रसाद ने खुद की थी.