Bihar Politics: बिहार को भारतीय राजनीति की प्रयोगशाला कहा जाता है. यहां से जो संदेश निकलता है, उसे पूरा देश स्वीकार करता है. हाल ही में बिहार की महागठबंधन सरकार ने प्रदेश में जातीय गणना कराकर नया प्रयोग किया. आजादी के बाद से देश में कभी जातीय जनगणना नहीं हुई थी. जातीय गणना से पता चला कि प्रदेश में करीब 18 फीसदी मुस्लिम आबादी है और हिंदुओं की जनसंख्या 81 फीसदी के करीब है. लालू-नीतीश की जोड़ी ने सिर्फ सत्ता सुख के लिए हिंदू समाज को इस कदर खंड-खंड किया गया है कि उससे बाहर निकलना बड़ा मुश्किल होगा. दोनों ने पहले तो जातीय गणना कराके हिंदू समाज को जातियों में बांटा और फिर आरक्षण वाला दांव चलकर इस खाईं को और गहरा कर दिया. 


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जातिगत गणना की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद से प्रदेश में जातिवाद की बड़ी खतरनाक राजनीति देखने को मिल रही है. आज हर नेता अपने नफा-नुकसान को देखते हुए जातीय राजनीति को हवा दे रहा है. उदाहरण के तौर पर बाहुबली नेता आनंद मोहन को ही देख लीजिए. आनंद मोहन ने ब्राह्मण और क्षत्रिय को दूर करने का प्रयास किया. इस काम में उन्होंने राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा को जरिया बनाया. जबकि उनके बेटे चेतन आनंद खुद राजद पार्टी से विधायक हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पीछे नहीं हैं. हमेशा बड़ा संभलकर बोलने वाले नीतीश कुमार ने सदन में पूर्व सीएम जीतन राम मांझी को अपमानित करके पिछड़ा और दलित समाज को बांटने का काम किया है.


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हिदू समाज जातियों में बंटा हुआ नजर आ रहा है. अब लालू-नीतीश की जोड़ी का पूरा फोकस 18 फीसदी मुस्लिम समाज को साधने पर है. मुस्लिम वोट पाने के लिए महागठबंधन सरकार उनपर विशेष प्यार लुटाने में जुटी है. बिहार में अब उर्दू स्कूलों और मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में रविवार की जगह जुमे के दिन यानी शुक्रवार को छुट्टी हुआ करेगी. इतना ही नहीं शिक्षा विभाग की ओर से 2024 के लिए जारी कैलेंडर में छुट्टियों के लेकर भी धार्मिक भेदभाव देखने को मिला है. जहां ईद और बकरीद पर छुट्टी बढ़ा दी गई है. वहीं अब राखी, तीज, रामनवमी, महाशिवरात्रि, जीतिया और जन्माष्टमी की छुट्टी खत्म कर दी गई है. 


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स्कूली छुट्टियों में धार्मिक भेदभाव राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने संज्ञान लिया है. आयोग ने बिहार सरकार से इस पर 7 दिनों के अंदर स्पष्टीकरण मांगा है. आयोग ने साफ कहा है कि अगर 7 दिन में जवाब नहीं दिया गया तो फिर समन भेजा जा सकता है. लालू-नीतीश का ये दांव उल्टा भी पड़ सकता है. ध्रुवीकरण के इस खेल में अब बिहार सरकार ने जो फैसला लिया है, उसने पटना से लेकर दिल्ली तक बवाल मचा दिया है. बीजेपी ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और बिहार सरकार के इस कदम को हिंदुओं का अपमान बताया है. अब देखना होगा कि क्या 18 फीसदी पर नीतीश-लालू का अगाध प्रेम 82 फीसदी को नाराज कर सकता है, या जातिवाद वाला प्लान कामयाब होगा.