Jharkhand News: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि कुछ ताकतें ‘जल, जंगल और जमीन’ से संबंधित मुद्दों पर आदिवासी समुदाय को विभाजित करने की कोशिश कर रही हैं. एक जनवरी 1948 को खरसावां में मारे गए आदिवासियों को श्रद्धांजलि देने के बाद सोमवार को जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ये ताकतें आदिवासी संस्कृति और परंपराओं पर भी हमला कर रही हैं. उन्होंने कहा कि आदिवासी लगातार उपेक्षित रहते हैं क्योंकि नीति निर्माता कभी समुदाय के हितों को ध्यान में नहीं रखते. यही कारण है कि आदिवासी कमजोर हो गए हैं और आर्थिक, शैक्षणिक, बौद्धिक और राजनीतिक रूप से पिछड़ रहे हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि समाज में कुछ ताकतें हैं जो ‘जल, जंगल और जमीन’ से जुड़े मुद्दों पर आदिवासियों को बांटना चाहती हैं और छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम और संताल परगना भूधारण अधिनियम जैसे कानूनों के साथ छेड़छाड़ करके समुदाय को विस्थापित करना चाहती हैं. वे आदिवासी संस्कृति और परंपराओं पर भी हमला कर रहे हैं. सोरेन ने कहा कि झारखंड की पहचान कभी आदिवासियों से होती थी, लेकिन पिछले दो दशकों में यह समुदाय राज्य में हाशिए पर चला गया है. 


उन्होंने आदिवासियों से एकजुट होने का आह्वान करते हुए कहा कि आप लोगों ने मेरी पार्टी को वोट देकर सत्ता में पहुंचाया है और मैं आप सभी को आश्वस्त कर सकता हूं कि मेरी सरकार किसी को भी समुदाय के सम्मान और स्वाभिमान को धूमिल करने की इजाजत नहीं देगी. उन्होंने कहा कि झारखंड की अस्मिता और गौरव के लिए कई लोगों ने बलिदान दिया है और हमें प्रतिज्ञा लेनी चाहिए कि उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा.


इनपुट- भाषा