Lok Sabha Election 2024 Singhbhum Seat: सिंहभूम में मधु कोड़ा की पत्नी ने बचाई थी कांग्रेस की इज्जत, जानें ताजा समीकरण
सिंघभूम लोकसभा सीट से वर्तमान समय में मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा सांसद हैं. 2019 की मोदी लहर में उन्होंने जीत हासिल करके कांग्रेस की इज्जत बचाई थी.
Singhbhum Lok Sabha Seat Profile: सिंहभूम, झारखंड का सबसे पुराना जिला है. इस जिले की सीमा उड़ीसा से सटी हुई है. इस सीट के अंतर्गत सरायकेला, चाईबासा, मंझगांव, जगन्नाथपुर, मनोहरपुर और चक्रधरपुर विधानसभा सीटें आती हैं. ये सभी सीटें भी अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. इस संसदीय सीट के मतदाता किसी एक पर भरोसा नहीं जताते, जिसके चलते कोई प्रत्याशी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नहीं रहता है. इस सीट पर कभी झारखंड पार्टी की तूती बोलती थी. 1957 से लेकर 1977 तक इसी पार्टी के सांसद रहे. इस पार्टी का चुनाव चिह्न 'नगाड़ा' हुआ करता था.
सिंहभूम लोकसभा सीट से कई दिलचस्प मिथक जुड़े हुए हैं. आज तक यहां से केवल 'हो जाति' के ही उम्मीदवार ही जीतते रहे हैं. पूर्व सांसद बागुन सुम्ब्रई के अलावा यहां पर किसी को लगातार जीत नहीं मिली है. बीजेपी के लक्ष्मण गिलुवा भी दो बार दिल्ली पहुंचे लेकिन वो भी लगातार दो बार नहीं जीत सके. उनके सिर पर 1999 और 2014 में जीत का सेहरा बंधा था.
कांग्रेस सिर्फ 5 बार जीती
इस सीट के चुनावी इतिहास में कांग्रेस को यहां सिर्फ 5 बार जीत हासिल हुई है. पहली बार 1984 में बागुन सुंबरूई ने कांग्रेस का खाता खोला था. इसके बाद 1989 में भी वही जीते. 1998 में कांग्रेस के विजय सिंह सोय ने जीत हासिल की थी. 2004 में कांग्रेस ने फिर से बागुन सुम्ब्रई पर भरोसा जताया और वे सांसद चुने गए. तो 2019 में कांग्रेस ने मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा को टिकट दी और वो चुनी गई. इस तरह से इस सीट से कांग्रेस को 5 बार जीत हासिल हुई है.
गीता कोड़ा ने रचा इतिहास
सिंहभूम सीट से गीता कोड़ा पहली महिला सांसद हैं. उन्होंन बीजेपी के सिटिंग के सांसद लक्ष्मण गिलुवा को हराया था. गीता को जेएमएम, जेवीएम और आरजेडी का भरपूर साथ मिला था. गीता कोड़ा को 4,31,815 वोट मिले थे. वहीं बीजेपी प्रत्याशी लक्ष्मण गिलुवा को 3,59,660 लोगों ने वोट किया था. 24,270 लोगों ने NOTA दबाया था. बीजेपी के हारने का ये भी एक बड़ा कारण था.
इस सीट के सामाजिक समीकरण
सिंहभूम लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट है. यह सीट सरायकेला-खरसावां और पश्चिमी सिंहभूम जिले में फैली हुई है. यह इलाका रेड कॉरिडोर का हिस्सा है. इस सीट पर अनुसूचित जनजाति का दबदबा है. उरांव, संताल समुदाय, महतो (कुर्मी), प्रधान, गोप, गौड़ समेत कई अनुसूचित जनजातियां, इसाई व मुस्लिम मतदाता यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं.