Lok Sabha Election 2024 West Champaran Seat: नेपाल से सटे इस सीट का परिसीमन के बाद कैसे बदला चुनावी समीकरण, जानें पश्चिमी चंपारण सीट का राजनीतिक गणित
नेपाल से एकदम सटे और हिमालय की तराई वाला यह पश्चिमी चंपारण लोकसभा सीट बिहार की राजनीति में खासा महत्व रखता है.
Lok Sabha Election 2024 West Champaran Seat: नेपाल से एकदम सटे और हिमालय की तराई वाला यह पश्चिमी चंपारण लोकसभा सीट बिहार की राजनीति में खासा महत्व रखता है. इस सीट का भूगोल बता दें कि तो यह 6 विधानसभा को मिलाकर बनाया गया है जिसमें नौतन, चनपटिया, बेतिया, रक्सौल, सुगौली, नरकटिया विधानसभा सीटें आती हैं. परिसीमन के बाद 2009 में इस सीट पर पहली बार चुनाव हुआ और तब से इस सीट पर भगवा लहरा रहा है. डॉ संजय जायसवाल ने इस सीट पर लगातार अपना दबदबा बनाए रखा है.
चंपारण के बारे में बता दें कि चंपा और अरण्य को जोड़कर इसको चंपारण नाम मिला. जहां चंपा के पेड़ों से भरे जंगल हों. यहां का मुख्यालय बेतिया है और यह तिरहुत प्रमंडल में पड़ता है जहां भाषा को रूप में भोजपुरी प्रचलन में है. इस जिले को प्रकृति ने दोनों हाथों से अपने उपहार दिए हैं. यहां नदियों और वनों से प्रकृति ने इस जिले को सजाया है. यहीं से फिल्म निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा और फिल्म अभिनेता मनोज वाजपेयी आते हैं.
यहां का बाल्मिकीनगर टाइगर रिजर्व को कौन नहीं जानता, इसी बाल्मिकीनगर को सीता की शरणस्थली कहा जाता है. गांधी जी ने यहीं की जमीन से पहला सत्याग्रह किया था. यहां के इलाकों में थारू जनजाति भी रहती है. यहां गंडक में आकर कई छोटी नदियां समाहित हो जाती है. यह क्षेत्र गन्ने की खेती के लिए सबसे बेहतर माना जाता है. इस जिले की कुल आबादी 40 लाख के करीब है. यहां के लगभग सभी लोग भोजपुरी भाषा ही आम बोलचाल में प्रयोग करते हैं. यहां हिंदुओं की आबादी 78 प्रतिशत के करीब है जबकि मुस्लिम आबादी 22 प्रतिशत के करीब है.
मान्यता है कि यहीं बाल्मिकी आश्रम में सीता रूकी थी और उनके दोनों बेटे लव और कउस का यहां लालन-पालन हुआ था. यहां रामायण महाकाव्य की रचना भी हुई थी. यहां एक समय पर दो लोकसभी सीट थी- बेतिया और बाल्मिकी नगर. 2008 से पहले की बेतिया लोकसभी सीट अब पश्चिमी चंपारण सीट हो गई है जबकि इसी परिसीमन में बाल्मिकी नगर लोकसभा सीट बना.