महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा धमाका, शरद पवार ने एनसीपी के अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा, कार्यकर्ताओं ने किया हंगामा
शरद पवार ने यह फैसला ऐसे समय में लिया है, जब पिछले कई दिनों से एनसीपी में फूट की खबरें सामने आ रही थीं. बताया जा रहा था कि अजीत पवार के नेतृत्व में पार्टी के 40 विधायकों का एक धड़ा भाजपा और शिवसेना शिंदे गुट के साथ जा सकता है.
जैसा कि पिछले कुछ दिनों से अंदाजा लगाया जा रहा था, महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा धमाका हुआ है. एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने अध्यक्षी छोड़ने का ऐलान कर दिया है. इस खबर के आने के बाद से महाराष्ट्र की राजनीति में तूफान आ गया है. पार्टी कार्यकर्ताओं ने हंगामा शुरू कर दिया है. पार्टी के वरिष्ठ नेता जयंत पाटिल तो यह खबर सुनते ही रो पड़े. कार्यकर्ताओं का कहना है कि शरद पवार को अभी पद पर बने रहना चाहिए. माना जा रहा है कि युवा नेतृत्व को उभारने के लिए शरद पवार ने अपने पद से इस्तीफा दिया है. शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने कार्यकर्ताओं को शांत करने के लिए कहा, आप ज्यादा भावुक न हों. शरद पवार का फैसला अटल है और वे इससे पीछे नहीं हटने वाले. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी कोई भी फैसला शरद पवार की सहमति से ही लेगी.
शरद पवार ने यह फैसला ऐसे समय में लिया है, जब पिछले कई दिनों से एनसीपी में फूट की खबरें सामने आ रही थीं. बताया जा रहा था कि अजीत पवार के नेतृत्व में पार्टी के 40 विधायकों का एक धड़ा भाजपा और शिवसेना शिंदे गुट के साथ जा सकता है. शरद पवार का कहना है कि एनसीपी का गठन 1999 में हुआ था और तब से मुझे अध्यक्ष बने रहने का मौका मिला. अब मैं इस पद पर और अधिक समय के लिए नहीं रह सकता. वक्त आ गया है कि नए व युवा नेतृत्व पार्टी की कमान संभाले. उन्होंने कहा कि मैं अभी तीन साल तक राज्यसभा में हूं. इस दौरान मैं महाराष्ट्र और पार्टी के हित में काम करता रहूंगा.
अब सबसे बड़ा सवाल है कि शरद पवार के बाद एनसीपी का अध्यक्ष पद कौन संभालेगा- सुप्रिया सुले या फिर अजीत पवार. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर अध्यक्ष पद सुप्रिया सुले के हाथ में गया तो फिर अजीत पवार असहज हो सकते हैं और इस वजह से पार्टी को नुकसान हो सकता है. ऐसे में हो सकता है कि अजीत पवार को ही पार्टी का अध्यक्ष बना दिया जाए. पिछले दिनों सुप्रिया सुले ने संकेत दिया था कि आगामी 15 दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति में 2 बड़े धमाके होने वाले हैं. पहला धमाका तो शरद पवार ने कर दिया और अब देखना यह है कि दूसरा धमाका क्या होता है.
जानकारों का यह भी कहना है कि विधायक दल में अजीत पवार की स्वीकार्यता अधिक हो सकती है पर अगर एनसीपी की बात करें तो शायद सुप्रिया सुले के नाम पर ज्यादा नेताओं की सहमति हो सकती है. शरद पवार ने अभी तक अपना उत्तराधिकारी नहीं चुना है और न ही इस बारे में कुछ कहा है. अब देखना होगा कि जब भी एनसीपी अपना अध्यक्ष चुनेगी, तो किसके नाम पर मुहर लगाती है.
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