Ranchi News: सावन के महीने में झारखंड की राजधानी रांची में कांवड़ियों के साथ बदसलूकी का मामला सामने आया है. मॉल ऑफ रांची में कांवड़ियों को सिर्फ इसलिए अंदर जाने से रोक दिया गया, क्योंकि उन्होंने जूते-चप्पल नहीं पहने हुए थे. कांवड़ यात्रा में श्रद्धालु बिना जूते-चप्पल पहने ही चलते हैं, लेकिन मॉल ऑफ रांची में उनको एंट्री नहीं दी गई. इसको लेकर अब राजनीति शुरू हो गई है. बीजेपी ने इस मामले को बेहद शर्मनाक और दुखद बताया है. बीजपी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि मॉल ऑफ रांची में जो वाकया हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मसार करने वाला है. उन्होंने कहा कि मॉल के प्रबंधन द्वारा वेशभूषा और चप्पल ना पहने होने के कारण कांवड़ियों को प्रवेश करने से रोक दिया गया. यह सनातनियों का अपमान है और शिव भक्तों का अपमान है. उन्होंने कहा कि हम रांची पुलिस से मांग करते हैं कि मॉल के प्रबंधन के खिलाफ कड़ी धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करें और अभिलंब कार्रवाई करें.


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वहीं कांग्रेस नेता कुमार राजा ने इस घटना को दुखद बताया है. उन्होंने कहा कि यह बेहद दुखद है. मॉल के मालिक से बात हुई है. उन्होंने भी इस घटना पर दुख व्यक्त किया है और इस घटना की पुनरावत्ति ना हो इसे ध्यान रखने की बात कही है. कांग्रेस नेता ने कहा कि गरीब गार्ड पर कार्रवाई करना उचित नहीं है. बस उसे उस जगह से हटाकर दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया जाना चाहिए. वहीं इस मामले में विवाद बढ़ने पर मॉल ऑफ रांची के जीएम एस. सान्याल बनर्जी ने माफी मांग ली है. उन्होंने कहा कि मैं इस घटना के लिए अपने मन से माफी मांगता हूं. हमारा इस तरह का कोई उद्देश्य नहीं था. हम मॉल को पब्लिक के लिए ही खोल के रखे हैं. उन्होंने कहा कि हमारे लिए बस एक सेफ्टी का इश्यू होता है कि अगर कोई नंगे पांव आए तो कहीं कोई घटना ना घटे.


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उन्होंने कहा कि हम सभी धर्मो का हम सम्मान करते हैं. अभद्र भाषा का प्रयोग किया है तो हम उसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे. बता दें कि एक साल पहले 17 अगस्त को इस मॉल का उद्घाटन झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने किया था. यह मॉल प्रसिद्ध फिल्म निर्माता प्रकाश झा का है. मॉल के मैनेजर नीतीश अग्रवाल ने बेहद साधारण सी सफाई देते हुए कहा कि इन कांवड़ियों की सुरक्षा को देखते हुए मॉल में इंट्री नहीं दी गई, क्योंकि वे सभी नंगे पांव थे. वे लोग फर्श पर फिसल सकते थे.