Bihar Education System: बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक इन दिनों बिहार के सरकारी स्कूलों की तस्वीर बदलने में जुटे हैं. सरकारी स्कूलों की हालत सुधारने के लिए वे लगातार कड़े कदम उठा रहे हैं. हालांकि, उनका ये प्रयास पूरी तरह से रंग नहीं ला रहा है. प्रदेश में अभी भी ऐसे कई स्कूल हैं, जिनकी हालत बहुत खराब है. जिस सरकार में 3 दिन स्कूल नहीं आने पर बच्चों का नाम काटने का नियम है और स्कूल ना आने पर शिक्षकों का वेतन रोक दिया जाता है. उसी सरकार में मंत्री के गांव का स्कूल बदहाली से जूझ रहा है. 


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प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की पोल बिहार सरकार में आईटी मंत्री इसराइल मंसूरी के गांव में खुल गई. मंत्री इसराइल मंसूरी के गांव में सरकारी स्कूल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. मंत्री इसराइल मंसूरी के गांव में 'चिराग तले अंधेरा' वाली कहावत चरित्रार्थ हो रही है. यहां के राजकीय प्राथमिक विद्यालय का आलम ये है कि यहां बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं. जब बारिश होती है तो पास ही खड़े पेड़ के सहारे तिरपाल तान दी जाती है और फिर स्कूल सज जाता है. 


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इतना ही नहीं एक ब्लैकबोर्ड पर दो क्लास की पढ़ाई होती है. जब एक शिक्षक चुप होते हैं दूसरे शिक्षक पढ़ना शुरू करते हैं. मुजफ्फरपुर शहर से सटे मुशहरी प्रखंड के पताही पंचायत में सामुदायिक भवन के एक कमरे में राजकीय प्राथमिक विद्यालय को देखकर शायद केके पाठक भी शर्मा जाएं. किसी मंत्री के गांव के स्कूल की हालत इतनी खराब हो सकती है, ये किसी ने सोचा भी नहीं होगा. बता दें कि इसराइल मंसूरी जब मुखिया थे तब सामुदायिक भवन में स्कूल का उद्घाटन किया था और अब इसी इमारत में राजकीय विद्यालय चल रहा है. 


रिपोर्ट - मणितोष कुमार