मुन्नू से मिथिलेश ठाकुर तक, 2009 और 2014 के विधानसभा चुनाव में हारकर 2019 में बने झारखंड की राजनीति के बाजीगर
Mithilesh Thakur: मिथिलेश ठाकुर की खास बात यह है कि झारखंड में आदिवासियों के बीच सबसे बड़े सवर्ण चेहरे हैं. कम समय में उन्होंने झारखंड की राजनीति में अपना वजूद कायम किया है और वे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ मजबूती से डटे हुए हैं.
Mithilesh Thakur Political Journey: मिथिलेश ठाकुर... झारखंड की राजनीति के चमकते सितारे बन चुके हैं. 2009 और 2014 के विधानसभा चुनावों में भले ही मिथिलेश ठाकुर को हार का सामना करना पड़ा पर 2019 के विधानसभा चुनाव में जीतकर वे आज झारखंड की राजनीति के बाजीगर बन चुके हैं. पहली बार जीतने के बाद भी हेमंत सोरेन की सरकार में वे मंत्री बने. चंपई सोरेन की सरकार में भी उनका सिक्का चला और मंत्री पद को सुशोभित किया. हेमंत सोरेन जब फिर से मुख्यमंत्री बने तो मिथिलेश ठाकुर उन चंद नामों में से एक थे, जिन्हें फिर से मंत्री पद का ओहदा मिला था. आज वे पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री के रूप में लोगों का दिल जीतने का काम कर रहे हैं. 2019 में मिथिलेश ठाकुर ने गढ़वा विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी सत्येंद्रनाथ तिवारी को हराकर पहली बार विधायक बने थे.
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बचपन में मिथिलेश ठाकुर को लोग मुन्नू कहकर बुलाते थे. बचपन से ही मिथिलेश ठाकुर लोगों का दिल जीतने का काम करते थे. उनके पिता कौशल कुमार ठाकुर वन विभाग में रेंज अफसर रहे और मां बिमला ठाकुर घर गृहस्थी का काम संभालती थीं. 4 जून, 2004 को मिथिलेश ठाकुर की शादी चंचल ठाकुर से हुई. दोनों की दो बेटियां हैं. मिथिलेश ठाकुर खेल में दिलचस्पी रखते थे. उनके पसंदीदा खेलों में फुटबॉल और बैडमिंटन शामिल है. साहित्य में रुचि की बात करें तो वे मुंशी प्रेमचंद और विद्यापति को आदर्श मानते हैं.
पिता की नौकरी के चलते उन्हें कई शहरों में रहने का मौका मिला, लेकिन गढ़वा से उन्हें विशेष लगाव हो गया. गढ़वा से ही उन्होंने हाई स्कूल और प्लस टू की पढ़ाई की. हजारीबाग स्थित संत कोलंबा कॉलेज से मिथिलेश ठाकुर ने स्नातक की डिग्री हासिल की. पिता कौशल कुमार ठाकुर चाईबासा से ही रिटायर हुए तो परिवार ने वहीं बसने का फैसला किया. छात्र जीवन से ही मिथिलेश ठाकुर झारखंड मुक्ति मोर्चा के सदस्य बन गए और बाद में राजद में शामिल हो गए थे. राजद ने उन्हें पश्चिमी सिंहभूम का जिला उपाध्यक्ष भी बनाया पर सन 2000 में मिथिलेश ठाकुर फिर से झारखंड मुक्ति मोर्चा में वापस आ गए.
मिथिलेश ठाकुर 2008 और 2013 में चाईबासा नगर परिषद के उपाध्यक्ष चुने गए थे 2018 में वे नगर परिषद के अध्यक्ष भी बने. अध्यक्ष पद पर रहते हुए वे विधानसभा चुनाव लड़े और जीत हासिल की. राजनीति में मिथिलेश ठाकुर पर बाहरी होने का भी ठप्पा लगा. इस कलंक को धोने के लिए मिथिलेश ठाकुर ने गढ़वा के कल्याणपुर में मकान बनवा लिया.
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मिथिलेश ठाकुर एक अच्छे फुटबॉलर भी रहे थे और गढ़वा जिला के ए फुटबॉल टीम के हिस्सा रहे थे. वे सिंहभूम स्पोर्ट्स एसोसिएशन के महासचिव और 2019 में झारखंड फुटबॉल एसोसिएशन के चेयरमैन बने थे. 4 भाई और 4 बहनों में मिथिलेश ठाकुर दूसरे नंबर पर हैं.