One Nation-One Election: 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर बड़ा अपडेट सामने आया है. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में तैयार हुए प्रस्ताव को मोदी कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है और संसद में इसे शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा. इस रिपोर्ट में जो सुझाव दिए गए हैं, उसके मुताबिक पहले कदम के रूप में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने चाहिए. समिति की सिफारिश के मुताबिक, लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ संपन्न होने के 100 दिन के भीतर ही स्थानीय निकाय चुनाव भी हो जाने चाहिए. इससे पूरे देश में एक निश्चित समयावधि में सभी स्तर के चुनाव संपन्न कराए जा सकेंगे. बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति की अगुवाई बनी समिति ने 62 राजनीतिक पार्टियों से संपर्क किया था. इनमें से 32 ने एक देश, एक चुनाव का समर्थन किया था. जबकि, 15 पार्टियां इसके विरोध में थीं. वहीं 15 ऐसी पार्टियां थीं, जिन्होंने कोई जवाब नहीं दिया था. अब सवाल ये है कि क्या अगले साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में यह नियम लागू होगा?


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बता दें कि लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, बिहार और झारखंड जैसे बड़े राज्यों में चुनाव होने हैं. हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनावों का ऐलान हो चुका है, जबकि महाराष्ट्र और झारखंड में भी इसी साल के अंत तक चुनाव कराए जाने हैं. वहीं दिल्ली और बिहार में अगले साल चुनाव होने हैं. केंद्र सरकार की ओर से 'वन नेशन-वन इलेक्शन' का बिल शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किया जाएगा. अगर बिल लोकसभा और राज्यसभा में पास हो गया तो फिर इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कहीं जाकर यह कानून में तब्दील हो पाएगा. उससे पहले होने वाले चुनावों पर यह लागू नहीं हो सकता है. लिहाजा इस साल जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनमें यह नियम लागू नहीं हो सकता. हालांकि, अगले साल होने वाले चुनावों में यह नियम लागू हो सकता है.


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बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. केंद्र की सरकार में सहयोगी बिहार के तीन दल जेडीयू, एलजेपी (आर) और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (एस) ने पहले ही 'वन नेशन-वन इलेक्शन' का समर्थन किया है. जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि एक देश-एक चुनाव पर उनकी पार्टी और एनडीए की राय एक समान है. उन्होंने कहा कि हम यह मानते हैं कि इससे देश में नीतियों की निरंतरता जारी रहेगी. बार-बार होने वाले चुनाव से विकास की योजनाओं की गति में रुकावट पैदा होती है और तमाम तरह की परेशानियां भी आती हैं. बिहार एनडीए ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ने का फैसला लिया है. हालांकि, पिछली बार की तरह इस बार चिराग इस पर आपत्ति हो सकती है. हालांकि, अगर वन नेशन-वन इलेक्शन के तहत विधानसभा चुनाव होंगे तो संभव है कि 2029 तक ही नीतीश कुमार को सीएम की कुर्सी पर बैठने का सौभाग्य मिल सके.


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