Unified Pension Scheme: मोदी सरकार ने विपक्ष से एक और मुद्दा छीन लिया है. दरअसल, विपक्ष अभी तक बीजेपी को पेंशन के मामले में घेरने की कोशिश करता था. विपक्ष की तरफ से नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) की जगह पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) को लागू करने का वादा चुनाव में खूब प्रचारित किया जाता था. अब केंद्र सरकार ने इस मुद्दे को जड़ से ही समाप्त कर दिया है. केंद्र ने पुरानी पेंशन योजना (OPS) की वापसी की ओर एक बड़ा कदम बढ़ाते हुए केंद्रीय कर्मचारियों के लिए यूनीफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) लागू करने का फैसला किया है, जो मौजूदा एनपीएस के साथ ही लागू रहेगा. यूपीएस के तहत कर्मचारियों को सुनिश्चित पेंशन, परिवार को पेंशन, सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन, पेंशन की राशि की महंगाई दर के साथ जोड़ने और सेवानिवृत्ति के समय ग्रेच्यूटी के अलावा भी एक सुनिश्चित राशि के भुगतान की व्यवस्था की गई है.


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एक तरह से यह पुरानी पेंशन स्कीम की तरह ही होगी, अंतर सिर्फ इतना होगा कि ओपीएस में कर्मचारियों को योगदान नहीं देना होता था. लेकिन यूपीएस में एनपीएस की तर्ज पर ही 10 प्रतिशत योगदान देना होगा. यूपीएस में पेंशन की न्यूनतम राशि 10 हजार रुपये सुनिश्चित किया गया है. इसके अलावा ग्रेच्यूटी के अलावा 6 महीने का वेतन भी एकमुश्त सेवानिवृत्ति पर मिलेगा. इससे सरकार पर पहले वर्ष में 6,250 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा. यूपीएस में सबसे महत्वपूर्ण है आय की स्थिरता और परिवार की सुरक्षा पेंशन योजना में सरकार के योगदान को मूल वेतन के 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 18.5 प्रतिशत करना है. चुनावी माहौल में इसे सरकार की ओर से बड़ा राजनीतिक मोहरा भी माना जा रहा है. आने वाले महीनों में जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं. 


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अब सवाल ये है कि क्या राज्य सरकार के कर्मचारियों और पेंशनधारियों को इस योजना का लाभ मिलेगा? इस पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि अगर राज्य सरकार यूपीएस को लागू करना चाहती है तो इसे लागू किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को भी एकीकृत पेंशन योजना को चुनने का ऑप्शन दिया जाएगा. अगर राज्य सरकारें यूपीएस का विकल्प चुनती हैं तो लाभार्थियों की संख्या लगभग 90 लाख हो जाएगी. इससे बिहार के 3.5 लाख पेंशनधारी खुश हो गए हैं. बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में राज्य सरकार के कर्मचारियों को उम्मीद है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस योजना को बिहार में लागू कर सकते हैं. 


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