2024 के लिए तरकश से ब्रह्मास्त्र निकालने वाली है मोदी सरकार, लागू हो गया तो मिलेगी एकतरफा जीत!
2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ऐसी चर्चा थी कि सरकार यूनिवर्सल बेसिक इनकम का ऐलान कर सकती है, हालांकि ऐसा हुआ नहीं था. वहीं कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में जरूर इसे लागू करने का वादा किया था.
Lok Sabha Election 2024: 2024 की चुनावी बिसात में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच शह और मात का खेल शुरू हो चुका है. बीजेपी की तरफ से पीएम मोदी सत्ता में हैट्रिक लगाने के लिए खेल रहे हैं, तो वहीं विपक्ष की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वघोषित उम्मीदवार हैं. नीतीश के नेतृत्व में मोदी विरोधी एकजुट होने लगे हैं. 2024 को लेकर विपक्षी खेमे में तो काफी सक्रियता दिखाई दे रही है, लेकिन बीजेपी अभी तक खामोश बैठी है. बीजेपी की खामोशी बताती है कि मोदी की तरकश में कोई ऐसा अचूक अस्त्र रखा है, जिससे पूरा विपक्ष 2014 और 2019 की तरह तहस-नहस हो जाएगा.
कहा जा रहा है कि मोदी सरकार के अचूक अस्त्रों में यूसीसी और जनसंख्या कानून के अलावा यूनिवर्सल बेसिक इनकम वाली स्कीम भी शामिल है. राजनीतिक पंडित तो इन्हें ब्रह्मास्त्र के बराबर मान रहे हैं. उनका मानना है कि इनमें से यदि कोई भी अस्त्र चल गया तो जनता फिर से मोदी-मोदी करने लगेगी. माना जा रहा है कि मोदी सरकार लोकसभा चुनाव से पहले ब्रह्मास्त्र के रूप में यूनिवर्सल बेसिक इनकम को लागू कर विरोधियों को चित्त कर सकती है.
उनका कहना है कि बेरोजगारी अब ये बड़ा मुद्दा बन चुका है. कांग्रेस ने इस मुद्दे पर ही बीजेपी से हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक छीन लिया है. दरअसल, हिमाचल प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने महिलाओं को 1500 रुपये हर महीने देने का वादा किया था. वहीं कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले हर परिवार की महिला मुखिया को 2000 रुपये महीना देने का वादा किया गया. दोनों राज्यों में कांग्रेस की जीत के पीछे इस योजना का बड़ा अहम योगदान माना जा रहा है.
वहीं मोदी सरकार में भी काफी पहले से विचार चल रहा है. जानकारी के मुताबिक, मोदी सरकार इस योजना को 2017 में लाना चाहती थी. सरकार ने बजट से ठीक पहले इस योजना पर आर्थिक सर्वे भी कराया था. सर्वे में कहा गया था कि देश की दो तिहाई आबादी को सालाना 7,620 रुपये देने से इस योजना की शुरुआत की जा सकती है. इतनी भारी-भरकम रकम देखकर सरकार ने अपने हाथ पीछे खींच लिए थे. इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भी इस योजना के लागू होने के संकेत मिले थे.
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उस वक्त बेरोजगारी के मुद्दे पर विपक्ष की आवाज को बंद करने के लिए सरकार ने इस योजना के बारे में सोचा था. हालांकि, इस बार भी सरकार ने बजट को सीमित करते हुए सिर्फ किसानों को आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया. 2019 के आम चुनावों से ठीक पहले सरकार ने पीएम किसान सम्मान निधि के तहत किसानों को सालाना 6,000 रुपये देने का ऐलान किया था. इसे यूनिवर्सल बेसिक इनकम का सीमित रूप माना गया था. वहीं कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में यूनिवर्सल बेसिक इनकम को 'न्याय' के नाम से लागू करने का वादा किया था. उस चुनाव में पीएम मोदी का मास्टर स्ट्रोक काम आया था और मोदी सरकार की वापसी हुई थी.