Bihar Politics: बिहार में एक तरफ सरकार के द्वारा कुछ महीनों के भीतर बैक-टू-बैक दो चरणों में शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी की गई और 2 लाख 17 हजार से ज्यादा शिक्षकों की नियुक्ति की गई है. वहीं बता दें की दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव की तैयारियां में भी बिहार की सभी पार्टियां जोर-शोर से जुट गई है. ऐसे में इन उपलब्धियों क श्रेय लेने की होड़ सरकार के अंदर के घटक दलों के बीच ही तेज हो गई है. बिहार में महागठबंधन के दल भले ऑल इज वेल का दावा कर रहे हों लेकिन ऐसा कुछ दिख नहीं रहा है. 


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दरअसल बिहार में दूसरे चरण की शिक्षक भर्ती परीक्षा के उत्तीर्ण छात्रों को जब नियुक्ति पत्र बांटा जा रहा था उस समारोह के पोस्टर में से तेजस्वी यादव की तस्वीर गायब थी. इसको लेकर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है. ऐसे में राजद के प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा कि तेजस्वी यादव का 15 महीने का कार्यकाल बिहार का स्वर्णिम काल रहा है. हालांकि उन्होंने 15 महीने बनाम 15 साल कहकर नीतीश के पूरे कार्यकाल को लपेट लिया. 



हालांकि राजद इस पूरे मामले में भाजपा पर निशाना साध रही थी और उन्हें चैलेंज कर रही थी लेकिन, इशारा नीतीश के बाकी के शासनकाल पर भी थी. राजद प्रवक्ता ने कहा कि मोदी सरकार ने 10 साल में सिर्फ 7 लाख नौकरियां दी है. यह भारत सरकार का आंकड़ा है. ऐसे में उन्होंने 15 महीने बनाम 10 साल पर बीजेपी को चर्चा करने के लिए ललकार दिया. 


हालांकि नीतीश कुमार को भी इसका श्रेय राजद के प्रवक्ता के द्वारा दिया गया. लेकिन, अंदरखाने राजनीति के जानकार मान रहे हैं कि तेजस्वी की तस्वीर शिक्षक नियुक्ति पत्र बांटने के कार्यक्रम से गायब होने के बाद राजद के नेताओं को मीडिया के सामने आना पड़ा ताकि उन्हें भी इस नियुक्ति प्रक्रिया का पूरा श्रेय मिल सके. हालांकि इस पूरे प्रेस कांफ्रेस के दौरान राजद के नेता मीडिया के सामने जमकर भाजपा पर ही बरसते नजर आए.