Lok Sabha Election 2024: 2014 में अकेले, 2019 में NDA और अब किसके साथ चुनाव लड़ेगी नीतीश कुमार की JDU
Lok Sabha Election 2024: 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने बिहार में प्रचंड जीत हासिल की थी और राजद को शून्य पर समेट दिया था. तब राजद और कांग्रेस एक साथ चुनाव लड़ रहे थे और जेडीयू एनडीए के साथ आ गई थी. भाजपा और जेडीयू तब 17-17 सीटों पर लड़े थे और बाकी 6 सीटें सहयोगी दलों को दे दिया गया था.
Lok Sabha Election 2024: नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव से पहले कोई पाला बदलने वाली पॉलिटिक्स नहीं की तो यह पहली बार होगा कि उनकी पार्टी जेडीयू राजद और कांग्रेस के साथ लोकसभा चुनाव में ताल ठोकेगी. इससे पहले जेडीयू ने लोकसभा चुनाव में राजद और कांग्रेस से गठबंधन कर चुनाव नहीं लड़ा. 2015 का विधानसभा चुनाव वे राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ चुके हैं और उसमें भाजपा को बुरी तरह मात दे चुके हैं. अब सवाल यह है कि अगर नीतीश कुमार और उनकी पार्टी राजद और कांग्रेस के साथ लोकसभा चुनाव लड़ती है तो उसके समीकरण क्या होंगे. यह सब समझने के लिए आपको पिछले कुछ लोकसभा चुनावों और उसके परिणामों पर नजर डालनी होगी.
सबसे पहले बात करते हैं 2014 के लोकसभा चुनाव की. यह वह समय था, जब भाजपा नरेंद्र मोदी को बतौर पीएम उम्मीदवार चुनाव में लांच कर रही थी और नीतीश कुमार इससे कुपित होकर एनडीए से दूर चले गए थे. तब उन्हें अंदाजा था कि 10 साल के सुशासन के चलते जनता उनका साथ देगी लेकिन उसके बाद से उनका खुद का भ्रम दूर होता चला गया. 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बिना नीतीश कुमार के साथ के भी 22 सीटें हासिल हुई थी. तब भाजपा ने 31 सीटों पर ही चुनाव लड़ा था और बाकी 9 सीटों में से 6 लोजपा और 3 सीटें उपेंद्र कुशवाहा की तत्कालीन आरएलएसपी को दी थी. वहीं नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को केवल 2 सीटों से संतोष करना पड़ा था. 12 सीटों पर लड़ने वाली कांग्रेस को 2 तो राजद को केवल 4 सीटों से संतोष करना पड़ा था.
2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने बिहार में प्रचंड जीत हासिल की थी और राजद को शून्य पर समेट दिया था. तब राजद और कांग्रेस एक साथ चुनाव लड़ रहे थे और जेडीयू एनडीए के साथ आ गई थी. भाजपा और जेडीयू तब 17-17 सीटों पर लड़े थे और बाकी 6 सीटें सहयोगी दलों को दे दिया गया था. उपेंद्र कुशवाहा तब एनडीए से बाहर निकल गए थे तो 6 सीटों पर लोजपा मैदान में थी. बिहार में भाजपा ने 2019 में 100 प्रतिशत की स्ट्राइक रेट के हिसाब से सभी सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं जेडीयू केवल किशनगंज सीट हार गई थी और वहां से कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी. लोजपा ने भी सभी 6 सीटों पर अपने प्रत्याशियों को जिता लिया था. इस तरह 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने 40 में से 39 सीटों पर जीत हासिल की थी और केवल एक सीट कांग्रेस के हाथ आई थी.
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अब 2024 के लिए कांग्रेस की ओर से जो सीट शेयरिंग का फॉर्मूला पेश किया गया है, उसके हिसाब से वह बिहार में 6 से 8 सीटों पर लड़ना चाहती है. दूसरी ओर, राजद और जेडीयू, कांग्रेस को केवल 4 सीटें देना चाहते हैं. राजद और जेडीयू की कोशिश 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ने की है. 4 सीट कांग्रेस तो बची 2 सीटें वाम दल को देने का प्रस्ताव है. अब देखना यह है कि कांग्रेस इस प्रस्ताव पर राजी होती है या फिर अपने प्रस्ताव पर राजद और जेडीयू को राजी कर ले जाती है. एक बात दीगर है कि राजद को 2019 में भले ही एक भी सीट नहीं मिली लेकिन उसके वोट प्रतिशत में केवल मामूली गिरावट दर्ज की गई. इसका मतलब यह हुआ कि उसका वोटर इंटैक्ट है और अगर उसमें जेडीयू के वोट प्रतिशत को शामिल कर लिया जाए तो हो सकता है कि भाजपा को बिहार में धक्का लगे.
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