Patna Museum: बिहार म्‍यूजियम के चर्चे केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों तक हैं. कभी पटना की पहचान गोलघर से हुआ करती थी, अब इस लिस्ट में बिहार म्‍यूजियम का नाम भी जुड़ गया है. म्‍यूजियम की अलग-अलग गैलरियों में बिहार के गौरवशाली अतीत और यहां की समृद्ध कला-संस्‍कृति की झलक मिलती है. मौर्य काल में बिहार का शासन-प्रशासन कैसा था? सिद्धार्थ किस तरह भगवान बुद्ध बने? आदिमानव कौन थे? इन तमाम और इन जैसे और भी ढेरों सवालों के जवाब आपको इस संग्रहालय की गै‍लरियों में मिल सकते हैं.


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पटना म्‍यूजियम का 95 साल पुराना गेट टूट गया है. इस घटना से हेरीटेज लवर्स को बड़ा झटका लगा है. दरअसल, पटना म्‍यूजियम और बिहार म्‍यूजियम को आपस में जोड़ने के लिए भूमिगत सुरंग बनाई जा रही है. इस पुनर्विकास कार्य के दौरान ही 100 साल से अध‍िक पुराने पटना म्‍यूजियम का एक गेट तोड़ दिया गया है. बता दें कि यह मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्‍ट है. दोनों संग्रहालयों को आपस में जोड़ने के लिए 375 करोड़ रुपये खर्च आएगा.


DMRC को दिया गया सुरंग का काम


बिहार सरकार की ओर से दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन को यह काम दिया गया है. इस काम को पूरा करने के लिए तीन वर्ष का समय मांगा है. भूमिगत सुरंग बनने के बाद दर्शक दोनों संग्रहालयों में आसानी से जा सकेंगे और एक साथ ही दोनों म्यूजियम को देख सकेंगे. प्रवेश और निकास भवन में एक भूतल और प्रथम तल होगा. इस सुरंग में अनेक सुविधाएं होंगी जैसे सुरक्षा जांच, सामान लिफ्ट एवं जनता के लिए अन्य आवश्यक सुविधाएं. ये सुरंग दोनों संग्रहालयों को जोड़ने के अतिरिक्त कला प्रेमियों और अन्य आगंतुकों को भी आकर्षित करेगी.


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15-20 मी. जमीन से नीचे होगी सुरंग


यह भूमिगत सुरंग जमीन से 15 से 20 मीटर नीचे होगी. आगंतुकों के सुगम, सुविधाजनक एवं पर्यावरण-अनुकूल आवागमन के लिए सुरंग में बैटरी चालित गोल्फ कार की सुविधा भी होगी. यह सुरंग अग्नि सुरक्षा एवं लोगों के सुरक्षित निकास के लिए सभी सुरक्षा उपायों से युक्त होगी. मेट्रो सिस्टम के साथ जोड़ने एवं संयुक्त टिकट प्रावधानों को भी ध्यान में रखा गया है जिससे ये लोगों के लिए सरल एवं सुविधाजनक हो सके.