Prashant Kishor: प्रशांत किशोर की सरकार बनी तो खाली हो जाएंगे सरकारी स्कूल! फिर क्या करेंगे गवर्मेंट टीचर?
Bihar Politics: प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव से पहले 1.60 लाख नए शिक्षकों की नियुक्ति करने का वादा किया है.
Prashant Kishor Politics: बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर इन दिनों एक मंझे हुए राजनेता की तरह घोषणाओं पर घोषणाएं करते जा रहे हैं. हाल ही में उन्होंने बड़ा ऐलान करते हुए ऐसा वादा किया है, जिसे अगर जनता ने स्वीकार कर लिया तो प्रदेश की सियासत में बड़ी हलचल देखने को मिल सकती है. पीके के वादे से सरकारी टीचर सहम गए हैं, क्योंकि अगर उनकी सरकार बन गई तो फिर सरकारी शिक्षकों की नौकरी जाना तय माना जा रहा है. दरअसल, पीके ने कहा है कि अगर उनकी सरकार बनी तो वह 15 साल से कम उम्र के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाएंगे और उन बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्च उनकी सरकार उठाएगी. पीके के इस वादे पर तमाम तरह की उंगलियां भी उठ रही हैं. सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि अगर 15 साल तक के बच्चों को सरकार प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने का खर्चा देगी तो फिर सरकारी स्कूलों का क्या होगा? जूनियर स्कूलों के सरकारी टीचर क्या सिर्फ जातीय जनगणना, पशु गणना और चुनावी ड्यूटी ही करते नजर आएंगे या फिर उन्हें प्राइवेट स्कूलों में जाकर बच्चों को पोलियो ड्रॉप पिलाने की जिम्मेदारी दी जाएगी?
पीके ने कहा है कि नीतीश सरकार पढ़ाई के नाम पर हर साल 50 हजार करोड़ खर्च कर रही है, लेकिन उन 50 हजार करोड़ से क्या 50 बच्चे भी पढ़े हैं? उन्होंने कहा कि नका यह संकल्प है कि इसी 50 हजार करोड़ को सही तरीके से खर्च करके बच्चों को अच्छी गुणवत्ता की पढ़ाई कराई जाए. सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में 15 वर्ष तक के बच्चों की पढ़ाई का खर्च सरकार देगी. ऐसी व्यवस्था जन सुराज की सरकार बनते ही शुरू कर दी जाएगी. इस तरह की व्यवस्था पूरे देश के किसी भी राज्य में अभी तक नहीं दी गई है. बिहार के सरकारी स्कूलों का हाल किसी से छिपा नहीं है. आज के दौर में सरकारी स्कूलों में वही बच्चे पढ़ते हैं, जिनके मां-बाप की आर्थिक स्थिति सही ना हो.
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अगर किसी मां-बाप या बच्चे को सरकारी स्कूल या प्राइवेट स्कूल चुनने का विकल्प मिलेगा, तो बेशक वह प्राइवेट स्कूल ही चुनेगा. इस हिसाब से सरकारी स्कूल तो खाली हो जाएंगे. ऐसे में सरकारी स्कूलों के टीचर क्या करेंगे? बता दें कि बिहार शिक्षा परियोजना की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश के प्रारंभिक स्कूलों में 30 बच्चों पर एक शिक्षक तो माध्यमिक में 35 बच्चों पर एक शिक्षक का मानक है. 79 फीसदी हाईस्कूलों में छात्र शिक्षक अनुपात मानक से कम है. एक तरफ इन स्कूलों में छात्रों के अनुपात में शिक्षक नहीं हैं तो दूसरी तरफ सूबे के 5063 स्कूलों ऐसे भी हैं, जहां बच्चों की संख्या के अनुसार जरूरत से अधिक शिक्षक हैं. पूर्व अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने इसमें सुधार लाने के काफी प्रयास किए और लाखों की संख्या में शिक्षकों की बहाली किए जाने से यह आंकड़ा पहुंचा है. इससे पहले तक हालात काफी बुरे थे.
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