Sunil Singh Membership End: आरजेडी नेता सुनील सिंह की एमएलसी सदस्यता को समाप्त करने के मामले पर बिहार की राजनीति में उबाल आ गया है. नीतीश सरकार के इस कदम पर राजपूत समाज ने नाराजगी जताई है. छपरा में राजपूत समाज के नेता और सारण विकास मंच के संयोजक शैलेंद्र प्रताप सिंह ने सुनील सिंह को बिहार विधान परिषद से हटाए जाने को दुखद बताया. उन्होंने कहा कि सुनील सिंह को सदन से बर्खास्त करने के साथ ही बिस्कोमान के चेयरमैन पद से भी हटा दिया गया है. इन दोनों घटनाओं से साफ दिख रहा है कि मौजूदा सिस्टम कैसे क्षत्रिय नेताओं के खिलाफ काम कर रहा है. शैलेंद्र प्रताप सिंह का ये बयान आने वाले विधानसभा चुनाव में एनडीए की मुसीबत को बढ़ा सकता है. 


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शैलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि सुनील सिंह की विधान परिषद सदस्यता रद्द करने का जो कारण बताया गया, वो गले तो नहीं उतरता है. उन्होंने कहा कि बिहार विधानमंडल में पहले इससे भी बड़ी-बड़ी घटनाएं हुई हैं. ऐसे कई बयान सुने गए हैं, जिसने विधानमंडल के सदस्यों को ही नहीं पूरे बिहार को शर्मसार किया. उन मामलों पर सदन की किसी आचार समिति ने ना कुछ सुना, ना कुछ देखा और ना ही कोई फैसला लिया. लेकिन जैसे ही इस मामले में एक क्षत्रिय नेता को फंसाने की हल्की गुंजाइश दिखी, सभी सक्रिय हो गए और ऑन द स्पॉट फैसला कर दिया गया.


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इस बार के लोकसभा चुनाव में सवर्णों में सबसे ज्यादा राजपूत जाति की ताकत दिखी है. इससे 6 सांसद हुए हैं. दूसरे स्थान पर भूमिहार जाति से तीन सांसद हुए हैं. ब्राह्मणों से दो और कायस्थ जाति से एक सांसद बने. 6 राजपूत सांसदों में से 5 एनडीए के हैं, जबकि एक राजद का है. इसके बावजूद मोदी कैबिनेट में बिहार के एक भी राजपूत सांसद को मंत्री नहीं बनाया गया. जिसके बाद उनकी नाराजगी की खबर भी आने लगी हैं. राजपूत वोटरों की नाराजगी का बड़ा असर विधानसभा चुनाव पर भी पड़ने की बात कही जा रही है.