जदयू को झटके पर झटका! मुस्लिम नेता ने छोड़ी पार्टी, अब ललन सिंह की बढ़ेगी मुश्किल
लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में जिस तरह की सियासी जंग छिड़ी है उसमें सबसे ज्यादे नुकसान जदयू को उठाना पड़ रहा है. जदयू से लगातार नेताओं के इस्तीफे का सिलसिला जारी है.
पटना: लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में जिस तरह की सियासी जंग छिड़ी है उसमें सबसे ज्यादे नुकसान जदयू को उठाना पड़ रहा है. जदयू से लगातार नेताओं के इस्तीफे का सिलसिला जारी है. इसके साथ ही आपको बता दें कि एक तरफ नीतीश कुमार पूरे देश में घूम-घूमकर विपक्ष को एकजुट कर रहे हैं तो वहं दूसरी तरफ उनकी पार्टी को छोड़कर जा रहे नेता इसी बात से खफा हैं कि पार्टी ने अपने आदर्शों को खत्म कर दिया है. बता दें कि रविवार को पार्टी के एक और नेता मोनाजिर हसन ने इस्तीफा दे दिया और उन्होंने भी इसी को अपने द्वारा पार्टी छोड़ने की वजह बताई है.
ऐसे में मोनाजिर हसन के पार्टी छोड़ने से जितना बड़ा झटका जदयू और नीतीश को लगा है उससे बड़ा झटका ललन सिंह को महसूस हो रहा है. राजनीति के जानकारों की मानें तो इस इस्तीफे की वजह से ललन सिंह की मुश्किलें बढ़नेवाली हैं.जदयू के नेता और पूर्व मंत्री मोनाजिर हसन ने पार्टी से इस्तीफा देते हुए कहा कि पार्टी अपनी दिशा से भटक गई है. इसके पहले आरसीपी सिंह, प्रशांत किशोर, अजय आलोक, उपेंद्र कुशवाहा जैसे नेताओं ने भी पार्टी का दामन छोड़ दिया था.
मोनाजिर हुसैन ने साफ तौर पर कह दिया कि पार्टी को अब उनके जैसे लोगों की जरूरत नहीं है. वह 4 बार से मुंगेर से विधायक हैं और जदयू के बड़े मुस्लिम चेहरे के रूप में उनकी पहचान होती है. सम्राट चौधरी की तरह ही मोनाजिर हुसैन की भी राजनीतिक पाठशाला राजद रही है. वहां से वह जदयू फिर भाजपा और एक बार फिर जदयू में वापस लौटे थे. अब उन्होंने जदयू का थामन छोड़ा तो भाजपा की सेहत के लिए यह अच्छी खबर बनकर आई है.
मुंगेर जिस लोकसभा सीट से ललन सिंह जीतकर आते हैं उसकी 6 विधानसभा सीटों में लगभग 1.5 लाख के करीब मुस्लिम वोटर हैं. मुंगेर जिले में ही बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी है. अब जब जदयू का दामन उसके सबसे बड़े मुस्लिम चेहरे ने छोड़ दिया है तो पार्टी के लिए मुसीबत बड़ी हो गई है. मोनाजिर का पार्टी छोड़ना जदयू के मुस्लिम वोट बैंक पर पकड़ को प्रभावित कर सकता है. मोनाजिर केवल बिहार में विधायक ही नहीं रहे वह बेगूसराय से 2009 में लोकसभा का भी चुनाव जीत चुके हैं.
हालांकि अपने इस्तीफे की घोषमा के बाद मोनाजिर ने कहा कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव दोनों ने अपने दलों के साथ महागठबंधन के जो बड़े मुस्लिम चेहरे थे उनको हाशिये पर ला खड़ा किया. ऐसे में मोनाजिर का इशारा साफ था कि वह जल्द ही भाजपा का दामन थाम सकते हैं. ऐसे में भाजपा को नीतीश कुमार और मुंगेर में ललन सिंह के खिलाफ मुस्लिम वोट बैंकों को साधने के लिए यह बड़ा हथियार मिल जाएगा.