अप्रैल में राज्यसभा से रिटायर हो जाएंगे सुशील कुमार मोदी, क्या लोकसभा चुनाव में ठोकेंगे ताल?
Lok Sabha Election 2024: भाजपा में अलिखित नियम है कि दो बार से अधिक बार किसी नेता को राज्यसभा में नही भेजा जाएगा. दूसरी ओर, पीएम मोदी ने अगस्त में हुई भाजपा संसदीय दल की बैठक में कहा था कि राज्यसभा के सदस्यों को लोकसभा चुनाव लड़ना चाहिए. खुद भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का भी अप्रैल में राज्यसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है.
Lok Sabha Election 2024: भाजपा के राज्यसभा सांसद और बिहार के दिग्गज नेता सुशील कुमार मोदी का अप्रैल में राज्यसभा का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है. अप्रैल और मई में ही लोकसभा चुनाव हो सकते हैं. तो क्या सुशील कुमार मोदी भी लोकसभा चुनाव में ताल ठोक सकते हैं? ऐसा नहीं है कि केवल सुशील कुमार मोदी का ही राज्यसभा का कार्यकाल अप्रैल में पूरा हो रहा है. मोदी सरकार के मंत्री भूपेंद्र यादव, धर्मेंद्र प्रधान, मनसुख मांडविया, आश्विनी वैष्णव, हरदीप सिंह पुरी, नारायण राणे, पुरुषोत्तम रूपाला, राजीव चंद्रशेखर, वी. मुरलीधरन और एल मुरुगन का कार्यकाल भी अप्रैल में खत्म हो रहा है. भाजपा इनमें से अधिकांश नेताओं को लोकसभा चुनाव में उतारने की योजना बना रही है.
बताया जा रहा है कि धर्मेंद्र प्रधान अपने गृह राज्य ओडिशा से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं. आश्विनी वैष्णव वैसे तो राजस्थान से आते हैं पर वे भी अपने कार्यक्षेत्र ओडिशा के बालासोर से भाग्य आजमा सकते हैं. गुजरात से पुरुषोत्तम रूपाला और मनसुख मांडविया के चुनाव लड़ने की खबरें हैं तो भूपेंद्र यादव हरियाणा से चुनाव मैदान में ताल ठोक सकते हैं. तमिलनाडु से निर्मला सीमारमण और महाराष्ट्र से पीयूष गोयल के चुनाव लड़ने की चर्चाएं हैं.
मोदी सरकार के मंत्रियों के अलावा बीजेपी के जिन नेताओं का राज्यसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है, उनमें अनिल अग्रवाल, अनिल बलूनी, अशोक वाजपेयी, अनिल जैन, प्रकाश जावड़ेकर, कांता कर्दम, सुशील कुमार मोदी, समीर ओरांव, सकलदीप राजभर, जीवीएल नरसिम्हाराव, अजय प्रताप सिंह, कैलाश सोनी, विजयपाल सिंह तोमर, डीपी वत्स और हरनाथ यादव शामिल हैं. इनमें से कई नेताओं को भाजपा लोकसभा चुनाव में उतारने का मन बना चुकी है. हो सकता है कि बिहार में सुशील कुमार मोदी को भी चुनाव मैदान में उतारा जाए.
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दरअसल, भाजपा में अलिखित नियम है कि दो बार से अधिक बार किसी नेता को राज्यसभा में नही भेजा जाएगा. दूसरी ओर, पीएम मोदी ने अगस्त में हुई भाजपा संसदीय दल की बैठक में कहा था कि राज्यसभा के सदस्यों को लोकसभा चुनाव लड़ना चाहिए. खुद भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का भी अप्रैल में राज्यसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है. पुरुषोत्तम रूपाला, मनसुख मांडविया, जेपी नड्डा, भूपेंद्र यादव और धर्मेंद्र प्रधान दो बार से राज्यसभा में भेजे जाते रहे हैं. हाल ही में बीते पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपने 21 सांसदों को मैदान में उतार दिया था. इनमें से 12 विधायक भी बन गए. उनके विधायक बनने से जो सीटें खाली हुई हैं, उन पर राज्यसभा सांसदों को चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है.
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तीन साल पहले भाजपा ने दिवंगत रामविलास पासवान के निधन से खाली हुई सीट पर सुशील कुमार मोदी को राज्यसभा भेजा था. उन्हें केंद्र में मंत्री बनाने की चर्चाएं थीं, लेकिन माना जाता है कि उनके एक ट्वीट के चलते ही वे मंत्री नहीं बन पाए थे. जब उन्हें राज्यसभा भेजे जाने का फैसला लिया गया, तब उन्होंने एक ट्वीट किया था- भाजपा एवं संघ परिवार ने मुझे 40 वर्षों के राजनीतिक जीवन में इतना दिया कि शायद किसी दूसरे को नहीं मिला होगा. आगे भी जो ज़िम्मेवारी मिलेगी उसका निर्वहन करूँगा. कार्यकर्ता का पद तो कोई छीन नहीं सकता.