Lok Sabha Election 2024: विपक्षी एकता के सूत्रधार बने घूम रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जल्द ही बड़ा झटका लगने वाला है. नीतीश जहां पटना में विपक्षी दलों के नेताओं की मीटिंग आयोजित करने वाले हैं. वहीं दूसरी ओर उनके बेस्ट फ्रेंड फिर से बीजेपी के साथ दोस्ती करना चाहते हैं. नीतीश के दोस्तों में शामिल आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम और टीडीपी सुप्रीमो चंद्रबाबू नायडू एक बार फिर से एनडीए में वापसी करना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने शनिवार (3 जून) को बीजेपी के चुनावी चाणक्य अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी. कहा जा रहा है कि इस मुलाकात में डील पक्की हो चुकी है.


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उधर महागठबंधन में शामिल जीतन राम मांझी भी नीतीश को आंखे दिखाने में लगे हैं. मांझी ने नीतीश के सामने ऐसी मांग रख दी है, जिसे पूरी कर पाना उनके लिए आसान नहीं होगा. दरअसल, मांझी ने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी के लिए 5 सीटों की डिमांड की है. उन्होंने साफ कहा कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो वो दूसरा ठिकाना ढूंढ़ लेंगे. मांझी ने अपने वोटबैंक की ताकत को दिखाते हुए कहा है कि वह जिधर रहेंगे, जीत उसी की होगी. इस तरह की बयानबाजी से वह नीतीश का सिरदर्द बढ़ाने का काम कर रहे हैं. हालांकि, महागठबंधन की भीड़ में नीतीश शायद ही मांझी को खुश कर पाएं. 


नीतीश कुमार जिस कांग्रेस के भरोसे विपक्षी एकता के लिए निकले थे, वही अब इससे पीछे हटती दिख रही है. दरअसल, कर्नाटक फतह के बाद कांग्रेस पार्टी का आत्म विश्वास जागा है और अब पार्टी किसी क्षेत्रीय दल के अंडर काम करने से हिचक रही है. नीतीश ने पटना में विपक्ष की बैठक आयोजित करने से पहले दो बार मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मुलाकात की थी. जानकारी के मुताबिक, दोनों ने बैठक में आने का वादा किया था लेकिन अब कांग्रेस पार्टी के दोनों वरिष्ठ नेता इस बैठक में नहीं जाएंगे. खड़गे और राहुल की जगह अब बैठक में क्लास-बी के नेता भेजे जाएंगे.


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वहीं जानकारी तो ये भी मिल रही है कि पटना में विपक्षी नेताओं की होने वाली बैठक भी टाल दी गई है. जानकारी के मुताबिक, यह बैठक 12 जून को होनी है, लेकिन अब जानकारी मिल रही है कि इसे आगे बढ़ा दिया गया है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस, डीएमके, माकपा के अनुरोध को देखते हुए अब बैठक की तारीख 23 जून तय की गई है. बता दें कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने बैठक की तारीख निर्धारित करने पहले विपक्षी दलों के नेताओं से व्यक्तिगत मुलाकात की थी. सभी की ओर से आश्वासन मिलने के बाद ही बैठक की तारीख निर्धारित की गई थी.