12 जून को पटना में विपक्षी एकजुटता का प्रदर्शन किया जाना है लेकिन इस बैठक से पहले ही किच-किच दिखना शुरू हो गई है.
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Patna Opposition Meeting: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों विपक्षी एकता की धुरी बने हुए हैं. उन्होंने आगामी 12 जून को पटना में मोदी विरोधी नेताओं की एक बैठक बुलाई है. इस बैठक में बीजेपी को हराने का प्लान तैयार किया जाएगा. 'मिलकर लड़ने से मोदी को हराया जा सकता है...', विपक्ष में शामिल नेता ये बात तो कहते हैं लेकिन एक छतरी के नीचे खड़े होने को तैयार नहीं है. मौजूदा हालातों को देखते हुए लग रहा है कि नीतीश का ये प्रयास सिर्फ फोटोसेशन बनकर रह जाएगा.
12 जून को पटना में विपक्षी एकजुटता का प्रदर्शन किया जाना है लेकिन इस बैठक से पहले ही किच-किच दिखना शुरू हो गई है. बिहार में ही महागठबंधन के अंदर खींचतान देखने को मिल रही है. सीटों को लेकर जीतन राम मांझी बिफरे हुए हैं. तो वहीं उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को अभी भी कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार से एलर्जी है. तभी तो प्रजापति समाज की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में चीफ गेस्ट होने के बावजूद तेजस्वी नहीं पहुचे. इस कार्यक्रम में कन्हैया कुमार को भी बुलाया गया था.
कांग्रेस ने छाड़ पर चढ़ाकर साथ छोड़ा
जिस कांग्रेस के भरोसे नीतीश कुमार विपक्षी एकता के लिए निकले थे, वही अब इससे पीछे हटती दिख रही है. दरअसल, कर्नाटक फतह के बाद कांग्रेस पार्टी का आत्म विश्वास जागा है और अब पार्टी किसी क्षेत्रीय दल के अंडर काम करने से हिचक रही है. नीतीश ने पटना में विपक्ष की बैठक आयोजित करने से पहले दो बार मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मुलाकात की थी. जानकारी के मुताबिक, दोनों ने बैठक में आने का वादा किया था लेकिन अब कांग्रेस पार्टी के दोनों वरिष्ठ नेता इस बैठक में नहीं जाएंगे. खड़गे और राहुल की जगह अब बैठक में क्लास-बी के नेता भेजे जाएंगे.
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कांग्रेस को केजरीवाल और KCR पर भरोसा नहीं
जब एक दोस्त को दूसरे पर भरोसा ही नहीं तो फिर कैसी दोस्ती? विपक्षी एकता में ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि कांग्रेस को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और तेलंगाना के सीएम केसीआर पर भरोसा नहीं है. कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक शर्मा ने 27 मई को जब ये बयान दिया तो विपक्षी एकता धुआं-धुआं हो गई. आलोक शर्मा ने कहा कि केजरीवाल और केसीआर जैसे लोगों ने बीजेपी को मदद की है. इन पर हम अब भी भरोसा नहीं कर सकते हैं.
विपक्षी एकता में हैं बड़े-बड़े छेद
दूसरी ओर विपक्षी एकता सिर्फ फोटो सेशन तक सीमित होती दिखाई दे रही है. बंगाल से लेकर महाराष्ट्र तक विपक्ष में जबरदस्त टकराव देखने को मिल रही है. हालात ऐसे हो गए हैं कि जो लोग विपक्ष को जोड़ने की बात कह रहे थे, वही अब उसे तोड़ने की कोशिश करने में लगे हैं. बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कांग्रेस के इकलौते विधायक बेरोन विश्वास को TMC में शामिल कर लिया गया है. ममता के एक दांव से ही कांग्रेस फिर से जीरो पहुंच गई है. अब टीएमसी और कांग्रेस में सुलह होती नजर नहीं आ रही है. इसी तरह से महाराष्ट्र में पुणे सीट को लेकर कांग्रेस और एनसीपी में ठनी हुई है. यूपी विधान परिषद के चुनाव में कांग्रेस के हिस्सा नहीं लेने से सपा अध्यक्ष अखिलेश नाराज हो गए हैं.