बिहार: तेजस्वी यादव ही आरजेडी के `युवराज`, लेकिन सामने है ये बड़ी चुनौती
RJD: आरजेडी की पिछले दिनों दिल्ली में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी सुप्रीमो लालू यादव ने साफ ऐलान कर दिया है कि अब से नीतिगत और बड़े मसलों पर सिर्फ तेजस्वी यादव ही बोलेंगे.
पटना: लालू यादव को क्यों कहना पड़ा कि अब से सभी नीतिगत मसलों पर सिर्फ और सिर्फ तेजस्वी यादव ही बोलेंगे? लालू ने खुले मंच से एक बार और कह दिया है कि अब पार्टी तेजस्वी के हवाले है. पार्टी पर उनका पूरी तरह से कब्जा हो चुका है लेकिन तेजस्वी के लिए ये बहुत बड़ी चुनौती भी है.
लालू ने क्यों कहा तेजस्वी ही बोलेंगे?
सवाल ये है कि आखिर लालू को ये क्यों कहना पड़ा कि तेजस्वी ही बोलेंगे? लालू ने ये बात दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी के मंच से कही. उसी राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर निकलकर तेजस्वी के भाई तेज प्रताप यादव ने आरोप लगाया कि पार्टी के नेता श्याम रजक ने उन्हें गालियां दीं.
दूसरी तरफ श्याम रजक ने जवाब दिया -हम तो दलित हैं, वो बड़े लोग हैं. दलित को लोग कुछ भी कह देते हैं. इस बयानबाजी के कारण विपक्ष ने आरजेडी और तेजस्वी पर निशाना साधा.
तेजप्रताप का रूख परेशानी का सबब
इससे पहले तेज प्रताप यादव प्रदेशाध्यक्ष जगदानंद सिंह से भी भीड़ चुके हैं. तेज प्रताप यादव ने जगदानंद को हिटलर तक कह दिया था. तेजप्रताप... तेजस्वी यादव के राजनीतिक सलाहकार संजय यादव से भी झगड़ चुके हैं. उपचुनाव के समय तेजप्रताप ने तारापुर से अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया. ये पार्टी के खिलाफ खुली बगावत थी. बाद में उनके प्रत्याशी ने पटना आकर तेजस्वी के आगे सरेंडर कर दिया.
लालू-राबड़ी ने संभाला मोर्चा
तब तेजप्रताप संजय यादव पर बिफर पड़े थे. जब भी तेज प्रताप यादव अटपटाए के खिलाफ गए, लालू-राबड़ी ने बीच बचाव कर मामले को संभाल लिया लेकिन मामला सिर्फ परिवार तक सीमित नहीं है.
मंत्रियों पर आपराधिक मामले
जगदानंद के बेटे सुधाकर सिंह ने अभी हाल ही में मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. सुधाकर सिंह ने पहले अपने ही महकमे के अफसरों को भ्रष्ट बताया और फिर खुद इस्तीफा दे दिया. खुद सुधाकर पर भी धान घोटाले का आरोप है.
राजद मंत्रियों के बहाने तेजस्वी पर हमला
इसके अलावा कार्तिक कुमार का मामला है. जिन्हें नई सरकार में कानून मंत्री बनाया गया था. उनपर विपक्ष ने आरोप लगाया कि उनपर अपहरण का मामला है. मामला बढ़ा तो कार्तिक ने इस्तीफा दे दिया. इन दोनों मामलों में तेजस्वी और पार्टी को विपक्ष का निशाना बनना पड़ा. इसके बाद खुद तेजस्वी और लालू परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं. इन आरोपों को लेकर बीजेपी तेजस्वी को लगातार निशाना बनाती रहती है.
सियासी पिच पर बैटिंग आसान नहीं
सियासी पिच पर भी तेजस्वी के लिए बैटिंग आसान नहीं है. खुद देश के गृहमंत्री अमित शाह बिहार के सियासी अखाड़े में उतर चुके हैं. हाल फिलहाल उन्होंने बिहार के दो दौरे किए हैं.
तेजस्वी के लिए कठिन है डगर
कुल मिलाकर तेजस्वी को एक साथ परिवार, पार्टी और पॉलिटिकल पिच पर जमे रहने की चुनौती झेलनी है. अब लालू ने उन्हें सर्वेसर्वा बना दिया है तो ये सब उन्हें अकेले ही संभालना है. अभी तक तो तेजस्वी ने काफी सूझबूझ का परिचय दिया है. पिछले विधानसभा चुनाव में इन तमाम झंझावतों के होते हुए भी तेजस्वी ने आरजेडी को बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनाया. लेकिन आगे लड़ाई कठिन होती जाएगी.
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