बोकारो: Jharkhand News: झारखंड के कद्दावर नेता रहे स्व० समरेश सिंह की विरासत को लेकर दो बहू आमने-सामने आ गई है. आज जहां एक ने भाजपा का दामन थामा वहीं दूसरी बहू कांग्रेस में है. स्व० समरेश सिंह की एक बहू परिंदा के भाजपा में आज शामिल होते ही दूसरी बहू  श्वेता सिंह की प्रतिक्रिया सामने आई है.


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श्वेता सिंह ने पिछला विधासभा चुनाव साल 2019 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था और करीब 99 हजार 20 वोट हासिल की थी और भाजपा के प्रत्याशी बिरंची नारायण से हार गई थी जिन्हें 1 लाख 12 हजार 333 वोट मिले थे. यानी 13 हजार 313 से श्वेता सिंह हार गई थी. जिसके बाद ये कयास लगाया जा रहा था की अगला चुनाव कांटे का होगा. समरेश सिंह पांच बार विधायक रहे जिसमें एक बार मंत्री भी रह चुके थे. ऐसे में उनका बहुत बड़ा जनाधार बोकारो में माना जाता रहा है. 


समरेश सिंह को लोग प्यार से दादा कहते थे. ऐसे में दादा का कार्यकर्ता भी काफी मजबूती के साथ दादा के जाने के बाद इस परिवार के साथ खड़े रहे. राजनीतिक विरासत को लिए भी कई बार ऊहापोह की स्थिति देखने को मिली. लेकिन, दादा के रहते दादा ने सारे चीजों को संभाल लिया था. 


साल 2019 के चुनाव के बाद और दादा के इस दुनिया से चले जाने के बाद राजनीतिक विरासत को लेकर चर्चाएं होती रही. आज समरेश सिंह के एक बहू परिंदा सिंह के भाजपा में चले जाने के बाद दूसरी बहू श्वेता सिंह जो कांग्रेस के बोकारो विधानसभा से प्रत्याशी रही है और कांग्रेस नेत्री है का कहना है की कोई कहीं जाए लेकिन दादा की राजनीतिक विरासत उन्हीं को मिली है और जनता सबकुछ जान रही है. 


उन्होंने भाजपा के बोकारो विधायक पर भी बोलते हुए कहा की कुछ भी कर ले जनता 2024 में सारी चीजें तय कर देगी. उन्होंने कहा की जब स्व० समरेश सिंह जिंदा थे तो साल 2019 में उन्हें ही राजनीतिक विरासत के रूप में आशीर्वाद दिए थे. वहीं रांची में बाबूलाल के समक्ष आज भाजपा में शामिल परिंदा सिंह ने कहा की ये उनका पुराना घर है जहां उनके ससुर स्व० समरेश जुड़े थे और राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी उसी पुराने घर में लौट गए हैं. 
Mrityunjay Mishra