Bihar Politics: देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं. आम चुनावों को देखते हुए सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ही अपनी-अपनी रणनीति तैयार करने में जुटे हैं. विपक्ष की ओर से 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में बैठक की जानी है, तो वहीं बीजेपी की ओर से दिल्ली में साथी दलों के साथ शक्ति-प्रदर्शन करने की योजना बनाई गई है. बीजेपी ने 18 जुलाई को एनडीए के सभी नए और पुराने दलों के नेताओं की बैठक बुलाई है. इस बैठक में बिहार से लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान और रालोजद अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को भी निमंत्रण भेजा गया है. हालांकि, वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी को अभी तक निमंत्रण नहीं मिला है. 


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बिहार में महागठबंधन से टकराने के लिए बीजेपी भी अपने गठबंधन को मजबूत करना चाहती है. पशुपति पारस पहले से एनडीए का हिस्सा हैं. अब जीतन राम मांझी की भी एनडीए में वापसी हो चुकी है. चिराग पासवान के साथ उपेंद्र कुशवाहा को भी एनडीए की बैठक का निमंत्रण मिल चुका है. हालांकि, वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी को अभी भी इंतजार करना पड़ रहा है. मुकेश सहनी को बैठक का न्योता नहीं मिला है. जिसके बाद सवाल उठ रहा है कि सहनी को अभी तक न्योता क्यों नहीं मिला?


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उपेद्र कुशवाहा को मिला निमंत्रण


उपेंद्र कुशवाहा ने खुद निमंत्रण मिलने की जानकारी दी है. उन्होंने एक ट्वीट करके कहा कि कुछ लोग अनावश्यक भ्रम ना फैलाएं. कल एनडीए की बैठक में शामिल रहूंगा. कल ही निमंत्रण मिल चुका है. उधर मुकेश सहनी को अभी तक न्योते का इंतजार है.


  



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सहनी के लिए निषाद पार्टी खतरा


वहीं मुकेश सहनी की उम्मीदों ने दम तोड़ दिया है. बीजेपी से निमंत्रण नहीं मिलने पर सहनी ने कहा कि वो खुद एनडीए में शामिल नहीं होना चाहते हैं. सहनी ने कहा कि जिसको शादी ही नहीं करनी है, उसके लिए क्या रिश्ता आएगा? हम बीजेपी के साथ जाना ही नहीं चाहते हैं. उधर कहा जा रहा है कि मुकेश सहनी के बार-बार यूपी जाने से बीजेपी नाराज है. दूसरी ओर यूपी में बीजेपी का निषाद पार्टी के साथ गठबंधन है. निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद की दम पर बीजेपी बिहार के निषाद वोटरों को भी साध सकती है.