अमित शाह से दिल्ली में मिले उपेंद्र कुशवाहा और चढ़ गया बिहार का सियासी पारा! जानिए वजह
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सबसे ज्यादा सियासी उठा पटक अगर कहीं देखने को मिल रहा है तो वह बिहार है. बिहार में राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं. एकतरफ महागठबंधन के सातो दल मिलकर विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने की दिशा में लगी हुई है ताकि भाजपा के खिलाफ मजबूती से लड़ा जा सके.
पटना : 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सबसे ज्यादा सियासी उठा पटक अगर कहीं देखने को मिल रहा है तो वह बिहार है. बिहार में राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं. एकतरफ महागठबंधन के सातो दल मिलकर विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने की दिशा में लगी हुई है ताकि भाजपा के खिलाफ मजबूती से लड़ा जा सके. वहीं दूसरी तरफ बिहार में भाजपा का फोकस नीतीश कुमार और महागठबंधन की पकड़ को कमजोर करने पर है. बता दें कि हाल ही में नीतीश कुमार का जीतन राम मांझी से मिलने के बाद जिस तरह मांझी का दर्द छलका था और वह नीतीश कुमार के खिलाफ आंदोलन की बात इशारों-इशारों में कर गए थे उसने बिहार की सियासत का तापमान बढ़ा दिया था. अब बिहार में एक समय जेडीयू संसदीय बोर्ड के पूर्व प्रमुख रहे और नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाने वाले उपेन्द्र कुशवाहा का अमित शाह से दिल्ली में मिलना बहुत कुछ कह रहा है.
राष्ट्रीय लोक जनता दल के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के इस मुलाकात के बाद लगने लगा है कि भाजपा ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं. भाजपा के साथ यहां बिहार में गठबंधन में अभी केवल लोजपा है. जो दलित वोट बैंक को अपने पाले में रखती है. वहीं कोईरी, कुर्मी वोट बैंक के साथ भाजपा अति पिछड़ा वोट बैंक पर भी फोकस कर रही है. ऐसे में नीतीश कुमार के लव-कुश वोट बैंक पर भाजपा का सेंध लगाने का प्लान है. ऐसे में भाजपा के लिए हथियार के तौर पर उपेंद्र कुशवाहा का था होगा. वहीं जीतन राम मांझी और चिराग पासवान के साथ आने पर भाजपा के लिए दलित वोट बैंक को साथ अति पिछड़ा वोट बैंक को साधने में भी सफलता मिलेगी.
ऐसे में आज दिल्ली में कुशवाहा और शाह की मुलाकात ने बिहार का सियासी पारा बढ़ा दिया. उपेंद्र कुशवाहा ने भी इस मुलाकात के बाद जो बयान दिया उससे सियासी पंडित समझ गए. कुशवाहा मुलाकात के बाद बिहार पहुंचे तो सबसे पहले पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ में कसीदे पढ़ते नजर आए. वह तो साफ कह गए कि 2024 के लोकसभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी के सामने चुनौती के तौर पर कुछ भी नहीं है. वहीं नीतीश कुमार के विपक्षी एकता पर कटाक्ष करते हुए कुशवाहा ने कह दिया कि जदयू के साथ सिर्फ वही दल खड़े हैं जो बिहार में उनके साथ गठबंधन में हैं.
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हालांकि कुशवाहा ने मीडिया से साफ कहा कि आप अटकलें लगाने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन मैं जितना उचित समझुंगा उतना ही राज खोलूंगा. कुशवाहा इस दौरान काफी उत्साहित थे और उनमें आत्मविश्वास भी ज्यादा दिखा. बता दें कि कुशवाहा की पार्टी इसके पहले भी एनडीए का हिस्सा रह चुकी है और कुशवाहा स्वयं मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री रह चुके हैं.
बता दें कि अमित शाह से जब दिल्ली में उपेंद्र कुशवाहा की मुलाकात गुरुवार को हो रही थी तो उस समय बिहार भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल भी उनके साथ थे. ऐसे में इस बैठक की तस्वीर भी जारी हुई ऐसे में जो मुलाकात गुपचुप तरीके से हो सकती थी उसकी तस्वीर सार्वजनिक होने का मतकल सियासी दलों को भी समझ में आ गया.