फारबिसगंज : शिक्षा देश को महान बनाता है लेकिन बिहार के सरकारी विद्यालयों की स्थिति पूरी तरह से दयनीय है. फणीश्वरनाथ रेणु के गांव का विद्यालय आज भी सरकारी उदासीनता का शिकार है. अमर कथा शिल्पी विश्वप्रसिद्ध साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु के गांव हर वर्ष देश और विदेशों से दर्जनों स्कॉलर शोध करने पहुंचते हैं लेकिन यहां के विद्यालय की स्थिति को दिखाते हुए भी उनके परिजनों को काफी शर्मिंदगी महसूस होती है. रेणु के परिजनों ने गांव के बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए विद्यालय को अपनी जमीन दान में दी थी. जिसपर आज मध्य विद्यालय और हाई स्कूल है. बावजूद इसके यहां के विद्यालय की स्थिति काफी बदतर है. फणीश्वरनाथ रेणु के परिजन भी विद्यालय की स्थिति को देख काफी दुःखी हैं. रेणु के परिजनों को इस बात का भी मलाल है कि रेणु पर शोध करने के लिए आने वाले छात्रों और अन्य लोगों को वे लोग सम्मान के साथ गांव के विद्यालय को दिखाने नहीं ला पाते हैं. गांव का विद्यालय दिखाने में भी फणीश्वरनाथ रेणु के परिजनों को काफी शर्मिंदगी महसूस होती है. 


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950 बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल में हैं मात्र 6 शिक्षक 
हिंदी के महान कथा शिल्पी फणीश्वरनाथ रेणु जिन्होंने पूरे विश्व मे हिंदी भाषा को एक पहचान दी उनके गांव हिंगना औराही के मध्य विद्यालय में कुल 950 बच्चे का नामांकन है जबकि शिक्षक मात्र 8 हैं. विद्यालय में संस्कृत,गणित,अंग्रेजी और विज्ञान के शिक्षक भी नहीं है. जिससे यहां बच्चों को इन विषयों की पढ़ाई भी ढंग से नहीं हो रही है. यहां के शिक्षक भी मानते हैं कि बच्चों के अनुपात में शिक्षकों की भारी कमी है. बच्चों के लिए विद्यालय में बुनियादी सुविधा का भी अभाव है. फणीश्वरनाथ रेणु की धरती पर अलग-अलग जगहों से लोग शोध करने आते हैं. जिन्हें विद्यालय के बारे में बताते हुए भी काफी शर्मिंदगी महसूस होती है. 


स्कूल में शौचालय की भी व्यवस्था नहीं 
वहीं फणीश्वरनाथ रेणु के गांव के सरकारी मध्य विद्यालय में लड़कियों के लिए शौचालय की भी व्यवस्था नहीं होने के कारण यहां पढ़ने वाली लड़कियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बाथरूम के दरवाजे टूटे हुए हैं और गंदगी रहने के कारण लड़कियों को काफी दिक्कत होती है. बावजूद इसके लड़कियां शर्मिंदगी झेलते हुए किसी तरह झुंड में एक दूसरे की पहरेदारी करते हुए बाथरूम का इस्तेमाल करती हैं. 


विद्यालय भवन के कई कमरों की स्थिति काफी जर्जर 
वहीं फणीश्वरनाथ रेणु के गांव हिंगना औराही के मध्य विद्यालय में बच्चों के बैठने के लिए बेंच डेस्क तक नहीं है. यहां पर बच्चों को घरों से बैठने के लिए चटाई, टाट लेकर आना पड़ता है. जिसको बिछाकर बच्चे जमीन पर बैठते हैं और पढ़ाई करते हैं. विद्यालय के भवन के कई कमरों की स्थिति काफी जर्जर है. जिसके नीचे बैठकर बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर हैं. विद्यालय में पीने का स्वच्छ पानी भी उपलब्ध नहीं है. जिसके कारण बच्चों को चापाकल का आयरन युक्त पानी पीना पड़ता है. विद्यालय में बच्चों के खेलने के लिए प्लेग्राउंड भी नहीं है. विद्यालय भवन के ऊपरी तल्ले पर छत भी पूरी तरह खुला हुआ है जिसके कारण बच्चों के छत से गिरने का खतरा बना रहता है. 


फणीश्वरनाथ रेणु के गांव के हाई स्कूल में हिंदी का कोई शिक्षक नहीं
फणीश्वरनाथ रेणु के गांव में बच्चों को उच्च शिक्षा देने के लिए एक हाई स्कूल भी है. जो किसी तरह से संचालित हो रहा है. हाई स्कूल में कुल 264 बच्चों का नामांकन है जिसको पढ़ाने के लिए मात्र 3 शिक्षक कार्यरत हैं. हिंदी के साहित्यकार के इस पावन भूमि के इस हाई स्कूल में हिंदी का कोई भी शिक्षक नहीं है. हाई स्कूल में गणित, अंग्रेजी और संस्कृत का भी कोई शिक्षक नहीं है. जिससे यह आसानी से समझा जा सकता है कि यहां के बच्चों को किस तरह से पढ़ाई करवाई जा रही है. हाई स्कूल के भवन में सभी तरफ बिजली के नंगे तार दुर्घटना को आमंत्रण दे रहे हैं. शौचालय की गंदगी के कारण छात्रों को भी काफी परेशानी होती है. हाई स्कूल में न तो चारदीवारी है और न ही खेलने का कोई मैदान है.  
(रिपोर्ट- कुमार नितेश)


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