पूर्णियाः बिहार के पूर्णिया जिले में सर्जन डॉक्टर राजेश पासवान पर हुए जान लेवा हमला का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. पूर्णिया के चिकित्सक राजेश पासवान की पिटाई के विरोध में आईएमए और भाषा के आह्वान पर निजी और सरकारी अस्पतालों के ओपीडी सेवा आज बंद की गई है. दूर दराज से आए मरीजों को बंदी की नहीं जानकारी थी. जिससे वह सुबह से ही पर्ची कटवाकर चिकित्सक के आने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन चिकित्सक 10:30 बजे भी अपने चेंबर में नहीं आए. जिससे काफी परेशानी हो रही है. 


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जानकारी के मुताबिक चिकित्सक अस्पताल के परिसर में तो मौजूद हैं लेकिन ओपीडी सेवा को पूरी तरह से बाधित कर रखा है. हालांकि डॉक्टरों ने इस हड़ताल से इंरजेंसी सेवा को दूर रखा है. चिकित्सक काली पट्टी बांधकर पूर्णिया के चिकित्सक की पिटाई का विरोध कर रहे हैं. इसके साथ ही अपनी सुरक्षा की मांग कर रहे है. 


12 किलोमीटर की दूरी से आए सुरेंद्र यादव ने बताया कि पूरे शरीर में काफी तेज दर्द हो रहा है. सुबह 7:00 बजे से आए हैं. पर्ची कटा कर घूम रहे हैं, लेकिन चिकित्सक अभी तक नहीं आए. वहीं 6 किलोमीटर की दूरी से आए बदरू मियां ने बताया 8:00 बजे से पर्ची लेकर डॉक्टर के इंतजार में खड़े हैं. कोई बताने वाला भी नहीं है कि डॉक्टर आएंगे या नहीं. सुबह 8:00 बजे से अनुमंडल अस्पताल मोहनिया पहुंची रीता देवी ने बताया कि गाय ने मेरे पैर पर मार दी है, काफी दर्द हो रहा है. डॉक्टर को दिखाना है लेकिन डॉक्टर अभी तक नहीं पहुंचे हैं.


अनुमंडल अस्पताल मोहनिया के उपाधीक्षक डॉक्टर बदरुद्दीन ने बताया कि पूर्णिया के डॉक्टर की पिटाई के विरोध में आईएमए के आह्वान पर भाषा के निर्देश पर आज हम लोगों ने ओपीडी को बंद किया है. काली पट्टी बांधकर इमरजेंसी में ड्यूटी पर डॉक्टर तैनात है. इमरजेंसी सेवा बाधित नहीं है. ओपीडी के भी डॉक्टर अस्पताल आए हैं, लेकिन काम आज नहीं करेंगे, आगे जैसा आदेश होगा वैसा किया जाएगा.


आईएमए के जिलाध्यक्ष डॉक्टर दिनेशेश्वर सिंह उर्फ मंटू ने बताया कि 17 तारीख को पूर्णिया में डॉक्टर राजेश पासवान को पुलिस और तथाकथित नेताओं की उपस्थिति में बेरहमी से तब तक मारा गया, जब तक बेहोश नहीं हो गए. इसी के विरोध में हम लोग आज कैमूर के सभी निजी और सरकारी अस्पतालों के ओपीडी सेवा को बंद किया हैं. लेकिन इमरजेंसी सेवा बाधित नहीं रहेगा.


दरअसल, पूर्णिया में छठ के समय डॉ राजेश पासवान पर पुलिस की उपस्थिति में जानलेवा हमला और मार पिटाई की गई थी. इसको लेकर आज आई एम ए बिहार ने एक दिन के सांकेतिक हड़ताल की घोषणा की है. जिसे भासा का भी समर्थन है, आपातकाल सेवा छोड़कर सभी सामान्य कार्य बंद रहेंगे. चिकित्सकों की मुख्य मांग बिहार मेडिकल इंस्टीट्यूशंस एंड पर्सन प्रोटेक्शन एक्ट में अपेडिमिक डिजीज के समय केंद्र द्वारा बनाए गए सुरक्षा के कानून को लागू करने का है. इसके अंतर्गत आरोपी को साबित करना होगा कि वे दोषी नहीं है. चिकित्सक के प्राथमिकी को सही माना जायेगा, पुलिस को एक महीने के अंदर जांच पूरी करनी होगी और एक वर्ष के अंदर कोर्ट को फैसला देना होगा.


इनपुट-नरेंद्र जयसवाल


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