सुपौल में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहे किसान, निर्धारित दाम से ज्यादा रुपये मिल रहा यूरिया
सुपौल के निर्मली शहर में मेन रोड स्थित खाद मंडी में सड़क के दोनों किनारे उर्वक दुकान के सामने सैकड़ों किसान कतार में अपनी बारी आने का इंतजार करते है. इस बीच मेन रोड पर काफी देर शाम तक जाम की समस्या भी बनी रही.
सुपौल : सुपौल जिले में गेहूं की खेती के लिए किसानों को पटवन के बाद खाद की किल्लत झेलनी पड़ रही है. शहर में यूरिया खाद आने की सूचना मिलते ही किसान तड़के सुबह से उर्वरक दुकानों के सामने कतार में खड़े हो जाते हैं. इधर, दुकानदार भी कीमत से ज्यादा दाम में किसानों को यूरिया खाद बेच रहे हैं.
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े किसान
सुपौल के निर्मली शहर में मेन रोड स्थित खाद मंडी में सड़क के दोनों किनारे उर्वक दुकान के सामने सैकड़ों किसान कतार में अपनी बारी आने का इंतजार करते है. इस बीच मेन रोड पर काफी देर शाम तक जाम की समस्या भी बनी रही. दूर-दराज से यूरिया खाद के लिए शहर पहुंच कर कतार में खड़े किसानों ने बताया कि एक बोरी यूरिया खाद का 266 रुपए ही सरकार के द्वारा निर्धारित है, लेकिन घंटों कतार में खड़ा रहने के बाद भी निर्धारित मूल्य पर खाद का आवंटन नहीं किया जा रहा है.
निर्धारित दाम से ज्यादा मिल रहा यूरिया
बाते दें कि सराकर ने यूरिया का निर्धारित दाम 266 रुपये तय कर रखा है, लेकिन दुकानदार 266 रुपये के बदले 300 रुपए प्रति बोरी यूरिया बेच रहे हैं. बाजार में यूरिया की खूब काला बाजारी हो रही है. जबकि पॉश मशीन में अंगूठा लगाने के बाद 266 रुपए का ही बिल दिया जा रहा है. बता दें कि निर्मली शहर के मेन रोड स्थित खाद मंडी में विभिन्न उर्वरक दुकानों पर किसानों की काफी संख्या में भीड़ रही. खाद के लिए कतार में खड़े किसान बिंदेश्वर मेहता, राजेंद्र प्रसाद, प्रमोद कुमार, पिंटू कुमार आदि ने बताया कि खेतों में पटवन का कार्य हो चुका है. अब खाद की अत्यंत आवश्यकता है. मगर खाद के लिए कतार में खड़े हैं. इसके बावजूद ऊरर्वक विक्रेता के द्वारा निर्धारीत मूल्य पर खाद नहीं दिया जा रहा है. यहां खाद की किल्लत को दर्शाते हुए दुकानदारों के द्वारा खाद की कालाबाजारी की जा रही है.
काला बाजारी करने वालों पर होगी कार्रवाई
कृषि विभाग के कृषि समन्यवयक विश्वनाथ भारती ने बताया कि उनकी मौजूदगी में किसानों के बीच सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य 266 रुपए प्रति बोरी यूरिया खाद वितरित की जा रही है. अगर 300 रुपये में बोपरी दी जा रही है तो इसकी जांच की जाएगी.जांच में दोषी पाए जाने पर संबंधित विक्रेता के खिलाफ विभागीय स्तर से त्वरित कार्रवाई भी की जाएगी.
इनपुट- मोहन प्रकाश