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पटना : बिहार में जातीय जनगणना के पहले चरण का कार्य 7 जनवरी से ही शुरू हो चुका है. इस जनगणना के लिए शिक्षकों सहित कई और विभाग के कर्मचारियों को लगाया गया है. ऐसे में बिहार सरकार ने सभी जिलाधिकारियों और जिला शिक्षा अधिकारियों को राज्य में चल रहे जाति सर्वेक्षण में उन शिक्षकों को शामिल नहीं करने का निर्देश दिया है जो इंटरमीडिएट की प्रायोगिक परीक्षा कराने में व्यस्त हैं.
बता दें कि राज्य में जाति सर्वेक्षण का पहला चरण 7 जनवरी को शुरू हुआ है और यह 21 जनवरी को समाप्त होगा, जबकि इसका दूसरा चरण अप्रैल में शुरू होना है.
ऐसे में बिहार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (शिक्षा) दीपक कुमार सिंह ने राज्य के डीएम और डीईओ को पत्र लिख कर निर्देश देते हुए कहा है कि यह पता चला है कि जाति सर्वेक्षण में शिक्षकों की भागीदारी के कारण व्यावहारिक बोर्ड परीक्षाओं पर असर पड़ रहा है. इसलिए, व्यावहारिक परीक्षा आयोजित करने के लिए आवश्यक शिक्षकों की सेवाएं नहीं लेने का अनुरोध इस कार्यक्रम के दौरान किया जाता है.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 1,464 केंद्रों पर 13.18 लाख से अधिक छात्र व्यावहारिक परीक्षा देंगे, इंटरमीडिएट की प्रायोगिक परीक्षाएं 10 से 20 जनवरी तक होनी हैं. इसी को लेकर यह आदेश जारी किया गया है.
सूत्रों की मानें तो स्कूल के शिक्षक बड़े पैमाने पर जाति सर्वेक्षण ड्यूटी में लगे हुए थे और उन्होंने ठंड के मौसम का हवाला देते हुए आवाज उठाई. जिससे 14 जनवरी तक स्कूलों को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा.जिस कारण महत्वपूर्ण समय में शैक्षणिक कार्य बाधित हुआ. शिक्षकों ने अधिकारियों से यह भी आग्रह किया है कि सर्वेक्षण अवधि के दौरान उन्हें स्कूल के काम से अलग रखा जाए.
गैर-शैक्षणिक कार्यों की एक पूरी श्रृंखला, स्कूल में अनियमित कक्षाओं, शिक्षकों और छात्रों दोनों की अनुपस्थिति और पाठ्यक्रम के पूरा न होने के कारण सबसे अधिक शिक्षक परेशान हैं. बिहार प्राथमिक शिक्षक संघ ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताते हुए कहा है कि शिक्षक आवासीय प्रेरण प्रशिक्षण ले रहे हैं, लेकिन शीत लहर के बावजूद कोई व्यवस्था नहीं है. वे फर्श पर सो रहे हैं. शिक्षक संघ की मानें तोउन्होंने इस संबंध में शिक्षा मंत्री को भी लिखा है.उन्होंने लिखा है कि कुछ जिलों में, शिक्षकों को उनकी स्कूल ड्यूटी के अलावा सर्वेक्षण कार्य करने के लिए कहा गया था. यह मानवीय रूप से संभव नहीं है.
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