किशनगंज:Bihar News: एक तरफ देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति ने सोमवार को अपने पद की शपथ ली, तो वहीं दूसरी तरफ बिहार के किशनगंज जिले के आदिवासी बहुल टेउसा पंचायत के लोग आज भी एक अदद स्कूल की आस लगाए बैठे हैं. लेकिन विभाग की लापरवाही से स्कूल का भवन नहीं बन पा रहा है. जिसके चलते इलाके के आदिवासी बच्चे शिक्षा से दूर हो रहे हैं.


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2011 में स्कूल की स्थापना
दरअसल, किशनगंज जिला मुख्यालय में स्थित टेउसा पंचायत के नव प्राथमिक विद्यालय आदिवासी टोला स्कूल की स्थापना वर्ष 2011 में हुई थी. इस स्कूल को आदिवासी समाज के बच्चें को शिक्षित कर समाज के मुख्यधारा से जोड़न के मकशद से खोला गया था. स्कूल में आज भी 60 फीसदी से अधिक बच्चे आदिवासी समाज से आते है लेकिन हैरानी की बात ये है कि स्थापना के दस साल बाद भी स्कूल का अपना कोई भवन नहीं है. स्कूल के पास अपना कोई जमीन भी नहीं है. पिछले 10 सालों से स्कूल बिकुलाल सिंह के जमीन पर चल रही है. 


स्कूल में 100 से अधिक बच्चे 
स्कूल में कुल 110 बच्चें हैं और उन्हें पढ़ाने के लिए दो शिक्षक पदस्थापित हैं. ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल का संचालन बारूद के ढ़ेर पर किया जा रहा है. किसी भी वक्त अप्रिय घटना घट सकती है. बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं. विद्यालय का अपना भवन नहीं होने के कारण बच्चों को धूप में बैठकर पढ़ना पड़ रहा है. बरसात के मौसम में परेशानी और बढ़ जाती है. वहीं शिक्षकों का कहना है कि काफी परेशानी झेलकर बच्चों को शिक्षा दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस परिस्थिति में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दिया जा सकता है.


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जल्द होगा भवन का निर्माण 
बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के नेता ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कर कहा कि शिक्षा विभाग की सच्चाई जानना है तो किशनगंज के किसी भी स्कूलों में चले जाएं वहां की व्यवस्था देखकर सरकार की शिक्षा व्यवस्था की पोल खुल जाएगी. उन्होंने कहा कि आदिवासी के पर्व त्योहार में कोई भी सरकारी स्कूलों की छुट्टी नही होती जबकि ईसाई समुदाय के बच्चे सरकारी स्कूलों में नही के बराबर पढ़ते हैं उनके त्योहार में सरकारी स्कूल बंद रहता है. वहीं इस मामले में जिला शिक्षा पदाधिकारी ने कहा कि स्कूल भवन निर्माण के लिए जमीन चिन्हित किया जा रहा है,जमीन मिलते ही विद्यालय भवन निर्माण कराया जाएगा.