Ranchi: झारखंड के रांची रिम्स (RIMS) में बेड नहीं मिलने के कारण मरीज न्यूरो सर्जरी (Neuro Surgery) विभाग के के बाहर पैसेज में फर्श पर इलाज करवा रहे हैं. हादसे को आमंत्रण दे रहा छज्जा, वो भी ऐसे मरीज यहां लेटे हुए हैं जो खुद से ना चल सकते हैं ना उठ सकते हैं. धनबाद से आये प्रेमचंद्र गोप वार्ड के बाहर फर्श पर इलाज करवा रहे हैं लेकिन इन्हें डर है उपर से छज्जा जो टूट कर आधा लटका हुआ है वो कभी भी इनके शरीर पर गिर न जाए.
प्रेमचंद्र के परिजनों की मानें तो हम सब काफी गरीब हैं. 14 तारीख से ही इंतजार में हैं कि वार्ड में हमें बेड मिल जाए ताकि उचित इलाज भी शुरू हो सके. यहां जो खतरा है छज्जा गिरने का उससे भी बच पाएं, लेकिन फिलहाल ऐसा कुछ होता नहीं दिख रहा है.
परिजनों की माने तो आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से कहीं बेहतर इलाज के लिए हम और जगह नहीं जा सकते क्योंकि वहां पैसों की काफी डिमांड कर रहे हैं. घर का एकलौता सदस्य था जो कमाने वाला था लेकिन अब इसका भी शरीर काम करना छोड़ दिया है. साथ में आई बहन का कहना है कि किसी भी तरह अब इसी अस्पताल में अपने भाई का इलाज करवाना है. अब जो भी हो कष्ट सहेंगे लेकिन इलाज करवा कर ही लौटेंगे.
एक तरफ रिम्स का दावा है कि कोविड-19 (Covid-19) होने की वजह से जो भी वार्ड कोविड-19 में तब्दील किया गया था उसे सामान्य मरीजों के लिए फिर से व्यवस्था करवा दिया गया है, लेकिन वहीं मरीजों को फर्श पर लेट कर अपना इलाज करवाना पड़ रहा है. ऐसे ही लातेहार के मनिका का राजेश्वर राम पिछले 15 दिनों से रिम्स में इलाज रहते हैं लेकिन इन्हें बेड नहीं मिल रहा है.
हैरान करने वाली बात यह है कि न्यूरो सर्जरी (Neuro Surgery) के बाहर इन्हें बिस्तर पर घसीट कर लाया गया. दरअसल, उनके परिजन वार्ड से थोड़ी दूर इनको रखे हुए थे लेकिन परिजनों का आरोप है कि नर्स वहां जाकर दवा और सुई देने से इंकार कर दिया और बोली अगर उठाकर यहां नहीं लाए तो हम दवा सुई नहीं दे सकते.
वहां जाकर ऐसे में परिजन मजबूरन उन्हें बिस्तर पर ही 2 लोग मिलकर घसीट कर यहां लाए हैं. परिजनों का कहना है कि रिम्स में बेड की कमी होने की वजह से उन्हें इस तरह से इधर से उधर मरीज को ले जाना पड़ता है. ऐसे में यहां के किसी भी स्टाफ का सहयोग नहीं मिल रहा है. एक रिश्तेदार आए थे तो उनके सहयोग से घसीट कर यहां तक ले आए हैं.
मरीज का शरीर काम नहीं कर रहा है. पहले ही उनके दो ऑपरेशन खराब हो चुके हैं. इस वजह से रिम्स (RIMS) भेजा गया है जिससे अब वह खुद से उठ सकते हैं ना बैठ सकते हैं. वही, बगल में स्ट्रेचर (Strecher) से अस्पताल का सामान ढोया जा रहा है. दूसरी तरफ एक तस्वीर और देखने को मिली कि वृद्धि व परिजन अपने मरीज को स्ट्रेचर पर खींच कर ले जाते हुए भी दिखे.
हालांकि, रिम्स प्रबंधन के वरीय अधिकारियों से हमने संपर्क साधने की कोशिश की लेकिन कोई भी अधिकारी इस मामले में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. अब देखना होगा कब तक यहां की व्यवस्था दुरुस्त होती है.
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