रांचीः Atal Bihari Vajpayee Jayanti: आज सारा देश पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी की जयंती मना रहा है. पूर्व प्रधानमंत्री के शासन काल को सुशासन के तौर पर देखा जाता है, इसलिए उनकी जयंती 25 दिसंबर के  मौके को सुशासन दिवस के तौर पर भी जाना जाता है. आज देश के हर हिस्से का किस्सा, जब अटल जी से जुड़ा हुआ है तो ऐसे में झारखंड के पास पूर्व प्रधानमंत्री को नमन करने की सबसे खास वजह है. असल में झारखंड के अस्तित्व की वजह ही अटल से जुड़ी है. एक समय ऐसा था कि बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव ने कहा था कि बिहार का बंटवारा मेरी लाश पर होगा. ऐसे में अटल बिहारी वाजपेयी ने ही झारखंड का राज्य का न सिर्फ सपना दिखाया, बल्कि उसे साकार भी किया. यही वजह है झारखंड भारत रत्न पूर्व पीएम को आज याद कर रहा है. 


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बाबूलाल मरांडी बने सीएम
किस्सा कुछ यूं है कि भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के प्रयास से ही झारखंड नए राज्य (Jharkhand New State) का गठन हुआ था. वह साल 1999 था. अटल बिहारी वाजपेयी चुनावी सभा के लिए झारखंड पहुंचे थे. इन सभाओं में अटल बिहारी वाजपेयी ने सधे शब्दों में कहा था कि 'आप मेरी सरकार बनवाएं मैं आपको अलग राज्य का तोहफा दूंगा' उनकी इस बात का इतना असर हुआ कि जनता ने उनकी बात मान ली और केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बन गई. इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने भी जनता की बात का मान रखा.  15 नवंबर 2000 को अटल बिहारी वाजपेयी ने जनता को अलग राज्य का तोहफा दे दिया. पहली बार झारखंड में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी और बाबूलाल मरांडी इस राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने. 


झारखंड के कई जिलों में हैं यादें
झारखंड बनने के बाद भी अटल बिहारी वाजपेयी का नाता इस राज्य से जुड़ा रहा. वह यहां की प्राकृतिक सुंदरता के बहुत कायल थे. रांची ही नहीं कई शहरों में उनसे जुड़ी यादें यहां मौजूद हैं. धनबाद जिले अटल बिहारी वाजपेयी ने  प्रतिमा का अनावरण किया था.वहीं राजधानी रांची में उनकी याद में अटल मार्केट बना हुआ है. यहां पर अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा भी मौजूद है. झारखंड के कई और भी जिलों में अटल बिहारी वाजपेई के नाम पर पार्क और अन्य चीजें बनाई गई है. सरायकेला खरसावां जिले के आदित्यपुर इलाके में भी एक अटल पार्क मौजूद है.