रांची: झारखंड सरकार ने शहरी क्षेत्रों में बिना वैध नक्शा के बनाए गए लगभग सात लाख मकानों को रेगुलराइज करने की तैयारी कर ली है. इसके लिए फाइनल मसौदा तैयार कर लिया गया है. इसे विधि विभाग के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है. विधि विभाग के परामर्श के मुताबिक मसौदे को कैबिनेट में लाया जाएगा.प्रस्ताव है कि स्वीकृत नक्शे के बगैर किए निर्माण को रेगुलराइज करने के लिए फाइन वसूला जाएगा. फाइन के लिए रियायती स्लैब तैयार किया गया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसका लाभ उठा सकें. फाइनल मसौदा तैयार करने वाली समिति ने ओडिशा, मध्य प्रदेश और तेलंगाना के मॉडलों का अध्ययन किया.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इसके पहले आम लोगों से भी इस प्रस्तावित योजना को अधिक प्रभावी और सरल बनाने के लिए सुझाव और फीडबैक मांगे गए थे. गौरतलब है कि राज्य के नगर विकास एवं आवास विभाग ने इसके लिए पॉलिसी का जो ड्राफ्ट तैयार किया था, उसे सीएम ने नवंबर 2022 में ही मंजूरी दे दी थी. पॉलिसी के लिए जो प्रारंभिक ड्राफ्ट तैयार किया गया था, उसमें आवासीय और गैर आवासीय भवनों को रेगुलराइज करने के लिए अलग-अलग शुल्क का प्रस्ताव था.


प्रारंभिक ड्राफ्ट के मुताबिक नगर पंचायत वाले शहरों में आवासीय भवन के लिए 50 रुपए प्रति वर्ग मीटर एवं गैर-आवासीय के लिए 75 रुपए प्रति वर्गमीटर, म्युनिसिपल काउंसिल (नगर पालिका परिषद) वाले इलाकों में आवासीय भवनों के लिए 75 रुपए प्रति वर्गमीटर एवं गैर-आवासीय भवन के लिए 100 रुपए प्रति वर्ग मीटर तथा नगर निगम, विकास प्राधिकरण, नगर पालिका क्षेत्र के आवासीय भवनों के लिए 100 रुपए प्रति वर्ग मीटर एवं गैर-आवासीय के लिए 150 रुपए प्रति वर्ग मीटर का शुल्क तय किए जाने का प्रस्ताव किया गया था.


हालांकि, लोगों के सुझाव और तीन राज्यों के मॉडलों के अध्ययन के बाद इसमें कुछ तब्दीलियां की गई हैं. प्रस्ताव है कि अधिकतम 15 मीटर की ऊंचाई और जी प्लस थ्री मंजिल वाले मकान ही इस योजना के तहत नियमित किए जाएंगे. इसके अलावा 31 दिसम्बर, 2019 के पूर्व निर्मित मकान और व्यावसायिक परिसरों के स्वामी ही इस योजना के दायरे में आएंगे.


(इनपुट आईएएनएस के साथ)