Ranchi: झारखंड सरकार (Jharkhand Government) स्थानीय नीति में बदलाव की तैयारी में है, ताकि राज्य के मैट्रिक और इंटर पास युवाओं को थर्ड और फोर्थ ग्रेड में नौकरी मिल सके. कार्मिक प्रशासनिक सुधार विभाग इसे लेकर प्रस्ताव तैयार करने में जुटा है, लेकिन सरकार के इस कदम का विरोध भी शुरू हो गया है. 


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झारखंड में एक बार फिर स्थानीय नीति को लेकर सियासी संग्राम छिड़ गया है. दरअसल, (Jharkhand Government) ने वर्ष 2021 को नियुक्ति वर्ष घोषित कर रखा है और वो साल के अंत तक ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मुहैया कराना चाहती है. इसी कड़ी में झारखंड सरकार ने थर्ड और फ़ोर्थ ग्रेड की नौकरी के लिए मैट्रिक और इंटर पास युवाओं को तरजीह देने पर विचार कर रही है और इसके लिए स्थानीय नीति में बदलाव की तैयारी में भी है. 


जेएमएम विधायक सुदिव्य सोनू (JMM MLA Sudivya Sonu) ​ने सरकार के इस प्रस्ताव का स्वागत करते हुए कहा की राज्य गठन के बाद किसी सरकार ने पहली बार आदिवासी-मूलवासी के हितों की रक्षा का कदम उठाया है.वहीं, कांग्रेस विधायक राजेश कच्छप के मुताबिक झारखंड बनने के बाद से सारी नौकरियां विवादों में रही है. पिछली सरकार ने स्थानीयता की जो नीति परिभाषित की थी, वो इस राज्य के लिए सटीक नहीं है.


झारखंड में पिछले 21 सालों से सर्वमान्य स्थानीय नीति नहीं बन पायी है. राज्य गठन के 16 साल बाद पूर्ववर्ती रघुवर दास की सरकार ने वर्ष 2016 में नियोजन नीति बनायी भी, लेकिन यह भी विवादों में घिर गयी. 13 अनुसूचित जिला और 11 गैर अनुसूचित जिला के लिए अलग-अलग नीतियां बनायीं गयीं, जिसकी वजह से मामला फंस गया. अब हेमंत सरकार के लिए नयी सर्वमान्य स्थानीय नीति बनाना बड़ी चुनौती है और स्थानीय नीति में बदलाव की तैयारी को लेकर विपक्ष ने मोर्चा खोल दिया है.


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बीजेपी विधायक नीरा यादव के मुताबिक वर्तमान सरकार पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर रघुवर सरकार में जनहित में बनाई गई नियमावली में बदलाव करना चाह रही है. नीरा यादव ने झारखंड सरकार को सलाह दी की पूर्ववर्ती सरकार की अच्छी चीजों को पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर बदलने और लोगों को ठगने के बजाय रोजगार देने का प्रयास किया जाए.


वहीं, AJSU के प्रदेश उपाध्यक्ष कमल किशोर भगत स्थानीय नीति में बदलाव की तैयारी को हेमंत सरकार की जुमलेबाजी बताया. उन्होंने कहा कि सरकार गठन के डेढ़ साल बीत गए हैं, सोरेन सरकार ने पांच लाख बेरोजगारों को नौकरी देने की बात कही कही थी, लेकिन आज तक किसी को नौकरी नहीं मिली. अब यह सरकार का नया जुमला लेकर आई है. कमल किशोर ने कहा कि सोरेन सरकार बेरोजगारों को गुमराह करने के बजाय 1932 का खतियान लागू कर स्थानीय और नियोजन नीति लागू करे.


बता दें कि झारखंड राज्य के गठन के बाद से ही नियोजन और स्थानीय नीति कानूनी पेंच में उलझती रही है. वर्तमान सरकार के लिए नीतियों का पेच सुलझाना चुनौती होगी, और ठोस नियोजन नीति के बिना राज्य में बड़ी संख्या में नियुक्तियां संभव नहीं है.


 



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