रांची: झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है, जिसमें तत्कालीन मंत्री आलमगीर आलम और कई अधिकारी शामिल बताए जा रहे हैं. ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की जांच में खुलासा हुआ है कि मंत्री आलमगीर आलम ने विभाग के टेंडरों से कमीशन के जरिए 56 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की थी. इस अवैध धन की वसूली विभाग के विभिन्न इंजीनियरों और अधिकारियों के जरिए की गई.


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ईडी की जांच के अनुसार हर टेंडर पर 3 से 4 प्रतिशत कमीशन लिया जाता था. इसमें 1.35 प्रतिशत कमीशन मंत्री आलमगीर आलम को दिया जाता था, जबकि 1.65 प्रतिशत हिस्सा नौकरशाहों और इंजीनियरों के बीच बांटा जाता था. इंजीनियरों के जरिए वसूली की गई इस रकम को आलमगीर के नजदीकी संजीव कुमार लाल तक पहुंचाया जाता था. इसके सबूत ईडी द्वारा बरामद एक डायरी में भी मिले हैं, जिसमें कुल 53 करोड़ रुपये की उगाही के दस्तावेज मौजूद हैं. इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इंजीनियरों ने अपनी पोस्टिंग के दौरान कमीशनखोरी को स्वीकार किया है. मुख्य अभियंता राजीव लोचन, कार्यपालक अभियंता अजय कुमार, संतोष कुमार और अन्य अधिकारियों ने अपने-अपने पदों का दुरुपयोग कर करोड़ों रुपये वसूले. यह कमीशन मुख्य रूप से ग्रामीण विकास विभाग, आरडब्ल्यूडी (सड़क निर्माण विभाग), जेएसआरआरडीए (झारखंड स्टेट रूरल डेवलपमेंट एजेंसी) और आरडीएसडी (रूरल डेवलपमेंट स्पेशल डिवीजन) के टेंडरों से वसूला गया.


इसके अलावा बिल्डर मुन्ना सिंह जो इस मामले में एक मुख्य किरदार है, ने स्वीकार किया है कि उसने कमीशन के 53 करोड़ रुपये इकट्ठे किए थे, जिनमें से 50 करोड़ रुपये संजीव कुमार लाल को दिए गए थे. इन पैसों में से 32.20 करोड़ रुपये जहांगीर के फ्लैट से बरामद हुए थे, जबकि 2.93 करोड़ रुपये मुन्ना के फ्लैट से मिले थे. यह सारा पैसा जुलाई 2023 से 9 दिसंबर 2023 के बीच की अवधि में एकत्रित किया गया था.


रिपोर्ट के अनुसार विभिन्न अभियंताओं और अधिकारियों ने भी भारी मात्रा में कमीशन वसूला. उदाहरण के लिए सिंगराय टूटी ने कमीशन के तौर पर 18 करोड़ रुपये वसूले, अजय तिर्की ने 212 करोड़ रुपये के टेंडरों से 6.36 करोड़ रुपये की उगाही की, जिसमें से 2.86 करोड़ रुपये आलमगीर का हिस्सा था. इसी प्रकार, अन्य अभियंताओं ने भी लाखों और करोड़ों रुपये की वसूली की, जो मंत्री और अन्य अधिकारियों तक पहुंचाई गई.


बता दें कि इस भ्रष्टाचार के माध्यम से कमाए गए पैसों का उपयोग बिल्डर मुन्ना सिंह की कंस्ट्रक्शन कंपनी में निवेश किया गया. ईडी की जांच में कई और भी ठेकेदारों के नाम सामने आए हैं, जिन्होंने टेंडर से कमाए पैसों का बड़ा हिस्सा अधिकारियों और मंत्रियों को कमीशन के रूप में दिया. यह मामला झारखंड में भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के गहरे जड़ें होने का संकेत देता है, जिसमें अधिकारी और मंत्री शामिल हैं. ईडी की इस जांच के आधार पर कई और खुलासे होने की संभावना है, जिससे राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है.


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