रांची: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को चुनावी राज्य झारखंड के जल और स्वच्छता विभाग में कथित अनियमितताओं से संबंधित करोड़ों रुपये की धनशोधन जांच के तहत एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी, एक कैबिनेट मंत्री से जुड़े व्यक्तियों और कुछ अन्य लोगों के परिसरों पर छापेमारी की. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी. सूत्रों ने पहले कहा था कि छापेमारी केंद्र सरकार की योजना जल जीवन मिशन से जुड़ी है. उन्होंने कहा कि जल और स्वच्छता विभाग द्वारा आवंटित कार्यों में 10 प्रतिशत की दर से कथित अवैध कमीशन का भुगतान हुआ और यह रिश्वत सत्ता में बैठे नेताओं, नौकरशाहों तथा विभाग के अधिकारियों के बीच साझा की गई.  


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संघीय एजेंसी के अधिकारियों द्वारा राज्य की राजधानी रांची और पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा में कुल 23 परिसरों की तलाशी ली गई. सूत्रों ने कहा कि ईडी की टीम को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) द्वारा सुरक्षा कवर प्रदान किया गया. सूत्रों ने कहा कि सचिव रैंक के आईएएस अधिकारी मनीष रंजन, एक मंत्री  के निजी कर्मचारी हरेंद्र सिंह,  उनके भाई , कुछ सरकारी अधिकारियों, ठेकेदारों और व्यवसायियों से जुड़े परिसरों की एजेंसी ने तलाशी ली.


रंजन भूमि, सड़क और भवन विभाग के सचिव हैं तथा ईडी द्वारा उनसे पहले भी धनशोधन के एक अलग मामले में पूछताछ की जा चुकी है, जिसमें इसने पूर्व मंत्री आलमगीर आलम को गिरफ्तार किया था. घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, ‘‘ये अप्रत्याशित नहीं हैं’’ और ‘‘विधानसभा चुनाव नजदीक आने की वजह से ये जारी रहेंगे’’. उन्होंने स्पष्ट रूप से असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का जिक्र करते हुए कहा कि विपक्षी भाजपा के सक्रिय सदस्य झारखंड का दौरा कर रहे हैं. चौहान और शर्मा राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के प्रभारी तथा सह-प्रभारी हैं. दोनों नेता ‘‘भ्रष्टाचार’’, ‘‘घुसपैठ’’ और ‘‘गिरती कानून व्यवस्था’’ को लेकर सोरेन पर हमला करते रहे हैं.


इस बीच, मंत्री ने आरोप लगाया कि यह छापेमारी ‘‘राजनीति से प्रेरित’’ है क्योंकि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने के पार्टी के दबाव के आगे झुकने से इनकार कर दिया. उन्होंने ईडी पर केंद्र सरकार के निर्देश पर काम करने का आरोप लगाया और मांग की कि एजेंसी को उनके आवास के अलावा उनसे जुड़े अन्य लोगों से की गई बरामदगी की सूची जारी करनी चाहिए. मंत्री ने कहा, ‘‘लोगों को यह जानने का पूरा अधिकार है कि मुझसे जुड़े परिसरों से कितनी धनराशि, अवैध दस्तावेज, सोना, हीरे और अन्य जवाहरात बरामद किए गए.’’


धनशोधन का मामला दिसंबर, 2023 में झारखंड पुलिस द्वारा पेयजल और स्वच्छता सुवर्णरेखा डिवीजन, रांची के कार्यालय में तैनात पूर्व रोकड़िया-सह-वरिष्ठ लिपिक (यूडीसी) संतोष कुमार एवं अज्ञात अन्य व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी से जुड़ा है. पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी के अनुसार, संतोष कुमार ने अन्य सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से ‘‘बेईमानी से’’ एक कंपनी की फर्जी भुगतानकर्ता आईडी तैयार की और सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने के वास्ते धोखाधड़ी से 2,71,62,833 रुपये की धनराशि निकालने के लिए अपने और अपनी कंपनी रॉकड्रिल कंस्ट्रक्शन (ओपीसी) प्राइवेट लिमिटेड के खाते के विवरण का इस्तेमाल किया.


प्राथमिकी में कहा गया, ‘‘यह पाया गया है कि कोषागार कार्यालय, रांची से संतोष कुमार और उसकी कंपनी के खातों में कुल 23 करोड़ रुपये जमा किए गए हैं. बाद में इस राशि को संतोष कुमार ने निकाल लिया और अन्य अधिकारियों के बीच वितरित कर दिया.’’ अधिकारियों ने कहा कि विभाग द्वारा ‘‘फर्जी’’ बिलिंग और उसके बाद भुगतान किए जाने के अलावा, ठेकेदारों से निविदा आवंटन के बदले कमीशन जुटाने और इसके वितरण के लिए विभाग में ‘‘प्रणालीगत’’ भ्रष्टाचार भी था. ईडी के अनुसार, यह पता चला है कि कुल निविदा मूल्य का लगभग 10 प्रतिशत कमीशन के रूप में निर्धारित था और इसे राजनीतिक नेतृत्व, नौकरशाहों तथा उक्त विभाग के अन्य अधिकारियों के बीच वितरित किया जा रहा था.


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मंत्री ने कहा कि वह भाजपा में शामिल होने के बजाय फांसी पर लटकना या अपना पूरा जीवन जेल में बिताना पसंद करेंगे. उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं को परेशान करने के इरादे से ‘‘केंद्रीय एजेंसियों को तैनात करने’’ का आरोप लगाते हुए केंद्र पर निशाना साधा. राज्य की 81 सदस्यीय विधानसभा के लिए जल्द चुनाव कराए जाने की घोषणा होने की उम्मीद है. वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल पांच जनवरी को समाप्त हो रहा है. झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने भी ईडी की छापेमारी को राजनीति से प्रेरित बताया.


इनपुट- भाषा


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