घाटशिला: कागज पर नाली बनाकर बांट दी मजदूरी, बीडीओ और मुखिया पर घपले का आरोप
घाटशिला के धालभूमगढ़ प्रखण्ड के कोकपाड़ा नरसिंहगढ़ पंचायत का है. यहां के चारचक्का गांव और मुढाकाटी गांव के बीच में मूढाकाटी सीमा स्थित पुलिया से अशोक महतो की जमीन तक बनने वाली नाली निर्माण योजना में घोटाला सामने आया है
घाटशिलाः घाटशिला के धालभूमगढ़ प्रखण्ड में मनरेगा योजनाओं में लूट मची हुई है. यहां मनरेगा योजना के तहत स्किम को पास कराकर बिना बनाये ही कार्य पूर्ण दिखाकर योजनाओं से संबंधित सभी पैसे का उठाव कर लिया जा रहा है. जिसमें बीडीओ से लेकर बीपीओ, पंचायत सचिव,मुखिया, असिस्टेंट इंजीनियर ,जूनियर इंजीनियर,रोजगार सेवक,कम्प्यूटर ऑपरेटर और मनरेगा एक्शन के सभी मेकेनिज्म वारे न्यारे हो रहें हैं. ये लोग सीधे तौर पर घोटाले में लिप्त हैं.
घाटशिला में सामने आया केस
ताजा मामला घाटशिला के धालभूमगढ़ प्रखण्ड के कोकपाड़ा नरसिंहगढ़ पंचायत का है. यहां के चारचक्का गांव और मुढाकाटी गांव के बीच में मूढाकाटी सीमा स्थित पुलिया से अशोक महतो की जमीन तक बनने वाली नाली निर्माण योजना में घोटाला सामने आया है. यहां इस काम की शुरुआत तक नहीं हुई है और सभी पैसे का उठाव 2020-21 में ही कर के ऊपर से नीचे तक बंदरबांट कर ली गयी है.
ऐसे हुआ मामले का खुलासा
मामले का खुलासा तब हुआ जब कोकपाड़ा नरसिंहगढ़ पंचायत की पूर्व पंचायत समिति सदस्य को यह जानकारी मिली तो गांव जाकर देखा. गांव में किसी भी तरह का सिंचाई नाली का निर्माण हुआ है. इसकी जांच की गई तो पाया कि इस योजना से जुड़े सारे पैसे का उठाव गलत तरीके से करके इसका बंदरबांट कर लिया गया है.
दस्तावेज में निर्माण कार्य पूरा
दरसल मनरेगा योजना के तहत धालभूमगढ़ प्रखण्ड कार्यालय के द्वारा 04 अगस्त 2017 की तिथि में योजना संख्या 3410007015/IC/9010204070 के तहत ग्राम चारचक्का में मूढाकाटी सीमा प्रारम्भ सामने पुलिया से अशोक महतो की जमीन तरफ पक्का सिंचाई नाला निर्माण कार्य को पास कराया गया था. इस नाली निर्माण के स्थल में वन विभाग के जमीन का हिस्सा भी आता है.
आज तक नहीं बनी नाली
लेकिन इस जगह पर नाली का निर्माण आज तक नही हुआ है और न ही इसके लिये किसी भी तरह का निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया है. 2020-21 में अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ इस पंचायत की मुखिया विलासी सिंह और अन्य जिम्मेदार लोग इस योजना की राशि के बंदरबांट में जुट गए और सभी पैसे डकार गए. धरातल पर कोई भी कार्य प्रारंभ किये बिना ही सरकारी दस्तावेज में इसे पूरा कर दिया गया.
कागज पर ही दिखा दिया भुगतान
इससे संबंधित जो सरकारी दस्तावेज ज़ी मीडिया के हाथ लगा है उसके तहत 19 सितंबर 2020 से 25 सितंबर 2020 यानी कि सात दिन के अंदर ही इस सिंचाई नाली का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है, जिसके एवज में मेटेरियल खर्च के रूप में 03 लाख 57 हज़ार,286 रुपये 28 पैसे हैं. शेष पैसे को कार्य में लगे मजदूर सुभाषिनी सिंह, गुरुबारी सिंह, माधुरी सिंह, और जुओतिन सिंह को मजदूरी भुगतान के रूप में दिखाया गया है.
सिर्फ कागजों पर बंटी मजदूरी
यह मजदूरी वितरण सिर्फ कागज पर हुआ है, क्योंकि इस योजना से सम्बंधित नाली कि खोज चयनित स्थल पर की गई तो किसी भी तरह का नाली यहां पर नहीं मिली. ग्रामीणों का कहना है कि हमलोगों को नाली निर्माण की कोई जानकारी नही और पता चल रहा है कि बिना नाली बनाये ही पैसा उठा लिया गया है.
घालमेल की लिखित रिपोर्ट सौंपी
पूर्व पंचायत समिति सदस्य रत्ना मिश्रा और पूर्व जिला परिषद सदस्य आरती सामद ने इसकी लिखित शिकायत जिला लोकपाल सनत कुमार महतो से की. इसपर लोकपाल सनत कुमार महतो ने स्थल का निरीक्षण किया तो वहां पर नाली निर्माण तो क्या एक भी ईंट वहां पर नही मिला. जांच करने के बाद मनरेगा योजना में हुए इस घाल मेल की लिखित रिपोर्ट लोकपाल सनत कुमार महतो ने धालभूमगढ़ की बीडीओ सबिता टोपनो को सौंप दिया है.
दोषियों पर कार्रवाई तय
इस सबन्ध में लोकपाल सनत कुमार महतो ने बताया कि यह पूरी तरह से सरकारी राशि गबन का मामला है जिसपर कार्रवाई निश्चित है. वहीं इस मामले को लेकर बीडीओ सबिता टोपनो ने बताया कि इस गड़बड़ी की जानकारी मिलने के बाद प्रखण्ड स्तरीय जांच दल बनाकर इसकी जांच कराई जा रही हैं. और जो लोग दोषी पाये जाएंगे उनके खिलाफ विधि-सम्मत कार्रवाई होनी सुनिश्चित है.