रांची: सेवा स्थायी करने की मांग को लेकर रांची में राजभवन के समक्ष आमरण अनशन पर बैठे अनुबंधित स्वास्थ्यकर्मियों में आधा दर्जन लोगों की तबीयत 26 जनवरी को बिगड़ गई. इनमें से एक महिला को जबरन रिम्स में दाखिल कराया गया है. स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सभी अनशनकारियों के स्वास्थ्य की जांच की है. इनमें से कुछ की हालत चिंतनीय बताई गई है.


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बता दें कि राज्य में कांट्रैक्ट पर कार्यरत पारा मेडिकल कर्मी और नर्सें बीते दस दिनों से आंदोलित हैं. आंदोलनकारियों के एक जत्थे ने बीते मंगलवार से राजभवन के समक्ष आमरण अनशन शुरू किया है. गुरुवार को जब एक महिला अनशनकारी की स्थिति बेहद खराब होने पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उनसे हॉस्पिटल चलने को कहा तो उन्होंने इनकार कर दिया. आखिरकार महिला पुलिस के दस्ते ने उन्हें जबरन अनशन स्थल से उठाकर हॉस्पिटल में भर्ती कराया. इस दौरान बाकी कर्मियों ने मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रखने का संकल्प जाहिर किया.


कांट्रैक्ट पर काम करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों ने बीते 17 जनवरी को रांची में राजभवन के सामने जोरदार प्रदर्शन किया था. उन्होंने सीएम हाउस को भी घेरने की कोशिश की थी. इसके साथ ही कर्मी हड़ताल पर चले गए थे. आंदोलन के दूसरे चरण में मंगलवार से कर्मियों ने आमरण अनशन शुरू किया है.


इधर स्वास्थ्यकर्मियों की हड़ताल के चलते राज्य भर के अस्पतालों की व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है. सभी जिलों में कोविड टीकाकरण की गति धीमी पड़ गई है, तो एक्सरे और पैथोलॉजिकल जांच नहीं हो पा रही. डिस्ट्रिक्ट सदर हॉस्पिटल, पीएचसी, सीएचसी में वैक्सीनेशन के लिए बच्चों और डिलीवरी के लिए लाई गई महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है.


रांची, जमशेदपुर, चाईबासा, जामताड़ा, हजारीबाग, कोडरमा, चतरा, गुमला, सिमडेगा, धनबाद, बोकारो, गिरिडीह, दुमका, गोड्डा, साहिबगंज सहित प्राय: सभी जिलों में स्वास्थ्यकर्मी हॉस्पिटल्स के सामने लगातार धरना दे रहे हैं. झारखंड अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मी संघ, झारखंड अनुबंधित एएनएम, जीएनएम संघ के प्रवक्ता ने कहा कि अनुबंध कर्मी पिछले 16 से 17 वर्षों से सेवा दे रहे हैं. कई बार राज्य सरकार से नियमितीकरण को लेकर इनकी वार्ता हुई, पर निष्कर्ष शून्य निकला.


(आईएएनएस)