रांचीः झारखंड में खाद्यान्न दुकानों की बंदी को चैंबर ऑफ कॉमर्स के लोगों ने मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के साथ वार्ता के बाद वापस ले लिया है. खाद्यान्न दुकान बंद होने से राज्य में खाद्यान्न की कमी होने लगी थी. खाद्यान्न दुकान बंदी के चार दिनों के बाद सरकार और चैंबर के बीच वार्ता हुई. बता दे कि 15 फरवरी को चैंबर ऑफ कॉमर्स ने कृषि शुल्क बढ़ोतरी के विरोध में राज्य की सभी खाद्यान्न दुकानों को बंद रखने का निर्णय लिया था.


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कृषि उपज शुल्क बढ़ोतरी के विरोध में चल रहा था आंदोलन 
चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री ने कहा कि कृषि उपज शुल्क बढ़ोतरी के विरोध में 8 फरवरी को एक बैठक की गई थी. इसके बाद 15 फरवरी से अनिश्चितकालीन दुकान बंद रखने का निर्णय लिया गया था. इस बीच अनिश्चितकालीन दुकान बंद के ऐलान के बाद चौथे दिन मुख्यमंत्री आवास में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव विनय चौबे और कृषि मंत्री बादल पत्रलेख के साथ एक वार्ता हुई. हालांकि फिर दुविधा आएगी तो फिर से आंदोलन की रूपरेखा बनेगी. 


दुविधा आने पर फिर करेंगे आंदोलन
वहीं इस वार्ता में सरकार की ओर से आश्वासन चैंबर को मिला कि इस विधेयक को अभी सिर्फ राज्यपाल से मंजूरी मिली है. इसमें अभी बहुत कुछ बाकी है. आगे की कार्रवाई इसमें चैंबर के साथ वार्ता कर की जाएगी. इस सार्थक वार्ता के बाद झारखंड चैंबर ने अपने आंदोलन को स्थगित कर दिया है. साथ ही दुकान बंदी और हड़ताल वापस ले ली गई है. उन्होंने बताया कि अगर आगे फिर किसी तरह की दुविधा आएगी, तो आंदोलन की रूपरेखा फिर तैयार की जाएगी.


'कृषि विधेयक कानून से बढ़ेगी महंगाई' 
बता दें कि झारखंड चेंबर के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष का कहना था कि कृषि विधेयक कानून से महंगाई बढ़ेगी. इससे सरकार को जीएसटी में भी नुकसान का सामना करना पड़ेगा. सरकार व्यापारियों के लिए इसी तरह किसान विरोधी, जन विरोधी, काले कानून को लागू करती रहती है. 
इनपुट- अभिषेक भगत


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