Jharkhand Illegal Sand Mining: हेमंत सरकार पर हाई कोर्ट ने लगाया 10 हजार का जुर्माना, जानें कार्रवाई की असली वजह
Illegal Sand Mining: अवैध रेत खनन के मामले में झारखंड हाई कोर्ट ने बुधवार को एक जनहित याचिका पर हलफनामा दाखिल नहीं करने को लेकर राज्य सरकार पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया. कोर्ट ने ये आदेश झारखंड बालू व्यापार संघ के फेडरेशन की जनहित याचिका के सिलसिले में सुनाया है.
रांची:Illegal Sand Mining: अवैध रेत खनन के मामले में झारखंड हाई कोर्ट ने बुधवार को एक जनहित याचिका पर हलफनामा दाखिल नहीं करने को लेकर राज्य सरकार पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया. कोर्ट ने ये आदेश झारखंड बालू व्यापार संघ के फेडरेशन की जनहित याचिका के सिलसिले में सुनाया है. मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आनंद सेन की खंडपीठ ने झारखंड सरकार पर जुर्माने का आदेश जारी किया है.
दरअसल, कोर्ट ने राज्य सरकार को 22 मार्च को इस मामले में हलफनामा दायर करने का आदेश दिया था, लेकिन सरकार ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया जिसके बाद खंडपीठ ने राज्य सरकार पर जुर्माना लगाया है. झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (जेएसएमडीसी) ने इस याचिका पर सुनवाई के दौरान अपना हलफनामा दायर किया. जेएसएमडीसी ने हाई कोर्ट को अपने हलफनामे में बताया कि, बालू के अवैध खनन में लिप्त बालू माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती है. उन्होंने अपने हलफनामे में ये भी बताया कि राज्य में केवल 21 बालू घाटों के पास ही खनन के लिए उचित दस्तावेज और लाइसेंस हैं. साथ ही झारखंड में बालू खदानों के आवंटन के लिए निविदाएं पहले ही जारी की जा चुकी हैं.
याचिकाकर्ता के वकील विकास पांडेय और पीयूष पोद्दार ने सुनवाई के दौरान कोर्ट में दलील दी कि नदी के किनारे से बालू का अवैध उठाव बढ़ रहा है. उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियमों का पालन किए बगैर ही बड़े पैमाने पर रेत का खनन हो रहा है. इससे सरकार को भी राजस्व में भारी नुकसान हो रहा है और साथ ही पर्यावरण को भीभारी नुकसान हो रहा है. झारखंड में जारी अवैध खनन का अंदाजा इसी से लगााय जा सकता है कि साहिबगंज में नियमों की परवाह किए बगैर स्टोन चिप्स और बोल्डर का खनन कर पड़ोसी राज्यों और दूसरे देशों में भेजा जाता था.
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