परिवार के खिलाफ जाकर नाबालिग ने रुकवाई अपनी शादी, बाल विवाह रोकने के लिए लिया ये फैसला
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परिवार के खिलाफ जाकर नाबालिग ने रुकवाई अपनी शादी, बाल विवाह रोकने के लिए लिया ये फैसला

Child Marriage: कोडरमा के डोमचांच में एक नाबालिग ने खुद का बाल विवाह रोकने के लिए प्रशासन को लिखी चिट्ठी है. जिसके बाद नाबालिग के घर पहुंचे बीडीओ उदय कुमार सिन्हा ने परिजनों को समझा-बुझाकर बच्ची की शादी करने से रोका.

परिवार के खिलाफ जाकर नाबालिग ने रुकवाई अपनी शादी, बाल विवाह रोकने के लिए लिया ये फैसला

कोडरमा:Child Marriage: कोडरमा के डोमचांच में एक नाबालिग ने खुद का बाल विवाह रोकने के लिए प्रशासन को लिखी चिट्ठी है. जिसके बाद नाबालिग के घर पहुंचे बीडीओ उदय कुमार सिन्हा ने परिजनों को समझा-बुझाकर बच्ची की शादी करने से रोका. पूरा मामला जिले के कोडरमा के डोमचांच प्रखंड के मसनोडीह पंचायत के बसवरिया गांव की है. जहां रहने वाली छाया नाम की लड़की जिसकी उम्र महज 17 साल है और वो 12 वीं क्लास में पढ़ती है. परिजन उसकी शादी कराने जा रहे थे. लेकिन लड़की ने अपनी शादी का विरोध किया. छाया ने अपना बाल विवाह रुकवा कर समाज के लिए मिसाल पेश की है.

बच्ची के इसी जज्बे और हिम्मत को देखते हुए प्रशासन उसे सम्मानित किया है और उसकी चर्चा हर तरफ हो रही है. दरअसल आने वाले 6 जून को छाया की शादी होने वाली थी, लेकिन पढ़ने लिखने और समाज के लिए कुछ करने की चाहत रखने वाली छाया को इतनी कम उम्र में शादी करना मंजूर नहीं था, बहरहाल पहले तो उसने अपने माता-पिता को समझाया और जब वे लोग नहीं माने तो छाया ने प्रशासन से गुहार लगाई और खुद का बाल विवाह रोके जाने का आग्रह किया.

जैसे ही छाया का आवेदन प्रशासन के पास पहुंचा, डोमचांच प्रखंड के बीडीओ उदय कुमार सिन्हा उसके घर पहुंचे. घर पहुंच कर बीडीओ ने छाया के माता पिता और उसके दूसरे परिजनों को समझाया बुझाया और पढ़ने लिखने के बाद ही छाया की शादी करने के लिए राजी किया. बीडीओ उदय कुमार सिन्हा ने बताया कि बाल विवाह को लेकर छोटे-छोटे गांव की बच्चियां जागरूक हो चुकी है और यह समाज में एक सकारात्मक बदलाव की ओर इशारा कर रहा है.

प्रशासन के द्वारा समझाएं बुझाए जाने के बाद छाया की शादी रुक गई है और अब उसके आगे की पढ़ाई का जिम्मा कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन उठाएगी. खुद का बाल विवाह रोकने के लिए छाया ने जो कदम उठाया, आज उसे हर कोई सलाम कर रहा है. निश्चित तौर पर जब खुद के हक और अधिकार के लिए बच्चियां आगे आएंगी तो बाल विवाह जैसे सामाजिक कुरीतिया जड़ से खत्म हो जाएंगी.

इनपुट- गजेंद्र सिन्हा

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