रांची: विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर झारखंड में पहली बार झारखंड जनजातीय महोत्सव 2022 आयोजन किया गया.  इस कार्यक्रम में झारखंड के आदिवासी संस्कृति और परंपरा की झलक देखने को मिली. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस दौरान झारखंड के 24 जिलों के दीदीयो द्वारा हाथों से बनाए गए देसी वस्तुओं को बढ़ावा दिया. दो दिवसीय झारखंड जनजातीय महोत्सव 2022 कार्यक्रम में लगभग 70 स्टॉल लगाए गए हैं.  


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आदिवासी बचाओगे तो जंगल और जानवर बचेंगे
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर झारखंड जनजातीय महोत्सव 2022 का आगाज किया, और घोषणा की कि झारखंड में हर साल विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर भव्य कार्यक्रम होता रहेगा. आदिवासियों के हित में जो भी कार्य होगा उसको सरकार आगे बढ़ावा देते रहेगी. मुख्यमंत्री कहा कि सभी लोग जंगल बचाओ,जानवर बचाओ कहते हैं. कोई आदिवासी बचाओ नहीं कहता, मैं कहता हूं आदिवासी बचाओगे तो जंगल और जानवर दोनों बचेंगे. इसलिए आदिवासियों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार यह ऐतिहासिक कार्यक्रम कर रही है.


हाथ से निर्मित सामानों की प्रदर्शनी 
इस कार्यक्रम के तहत राज्य के 24 जिलों में राज्य सरकार के विभाग द्वारा तरह-तरह की वस्तुएं, खाने-पीने की चीज, कपड़ा, मिट्टी से बने बर्तन, तमाम वस्तुओं की स्टॉल के माध्यम से प्रदर्शनी लगाई गई है. जिसमें हाथों से बने लोला, होली, बिछाया, पायल, मंडली से करे नारी श्रृंगार, पलाश की ओर से झारखंड की पारंपरिक डिजाइन लेकर आए हैं. वहीं बास के बने घड़ी, फ्लावर स्टैंड, बैग घर में सजाने वाले सामान समेत अन्य चीजें लोगों के बीच बने आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. स्टॉल लगाने वाले लोगों का कहना है कि इस मंच से हमारे हाथों से बने देसी सामान को झारखंड के अलावा देश के अलग-अलग राज्यों के लोग खरीद रहे हैं. 


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पारंपरिक वेशभूषा से हमारी युवा पीढ़ी दूर
झारखंड जनजातीय महोत्सव 2022 कार्यक्रम में शामिल होने बेंगलुरु, दिल्ली समेत देश के अन्य राज्यों से लोग यहां आए हैं. स्टॉल में लगे समान लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. कार्यक्रम में आए लोगों का कहना है कि यह संस्कृति और पारंपरिक वेशभूषा हमारी युवा पीढ़ी से दूर होते जा रही है. इस तरह के कार्यक्रम से इसे बढ़ावा मिलेगा और हमारे साथ हमारी आने वाली पीढ़ी को भी इसकी जानकारी मिल रही है. हम लोगों ने महिलाओं के हाथ से बने काफी सामान खरीदा है. राज्य सरकार इस तरह के कार्यक्रम आगे भी करते रहे. इस तरह के कार्यक्रम से झारखंड के साथ देश के अन्य राज्यों की संस्कृति के बारे में जानकारी मिलती है.