होली के रंग में नहीं पड़ेगा भंग! इस फूल से बनाएं हर्बल गुलाल, त्वचा को नहीं होगा नुकसान
Palash Flower: ऋतुओं का राजा बसंत के आगमन के साथ ही खूंटी की वादियों में नीले आसमान के नीचे पलाश के फूल छटा बिखेरने लगे हैं. होली का त्यौहार आने वाला है ऐसे में इन दिनों पलाश के फूल प्रकृति के बीच तोते के मुख के आकार की लाल रंग का फूल मन मोहने लगी है.
खूंटी: Palash Flower: ऋतुओं का राजा बसंत के आगमन के साथ ही खूंटी की वादियों में नीले आसमान के नीचे पलाश के फूल छटा बिखेरने लगे हैं. होली का त्यौहार आने वाला है ऐसे में इन दिनों पलाश के फूल प्रकृति के बीच तोते के मुख के आकार की लाल रंग का फूल मन मोहने लगी है. यह पलाश फूल जो न केवल यह सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है और प्रकृति के नजारों के बीच मन मोह रही है बल्कि इसके काफी औषधीय गुणों से यह भरपूर होता है. एक जमाने में तो इसका उपयोग होली में रंग बनाने में प्रयोग किया जाता था.
पलाश के फूल से बनाएं हर्बल गुलाल
लाल रंग के इस खूबसूरत फूल को लोग होली के कई दिनों पहले से ही पानी में भिगो कर रख देते थे और फिर उबालकर इससे रंग बनाते थे. इस रंग से होली खेली जाती थी और इसकी खुश्बू से सारा वातावरण महक उठता था. आज भी इसे मथुरा, वृंदावन और शांति निकेतन आदि जगहों पर होली में प्रयोग किया जाता है. पलाश को कई जगहों पर टेसू के नाम से भी जाना जाता है. पलाश के फूल में कई औषधीय गुण होने के कारण पलाश के फूल, बीज और जड़ों की औषधियाँ बनाई जाती हैं.
औषधीय गुणों का खजाना है पलाश
पौराणिक काल से ही आयुर्वेद में इसका प्रयोग किया जाता रहा है. इस फूल का सुगंधित पानी शरीर के चमड़े को भी स्वस्थ रखता है. पेट की बिमारियों में भी वैद्य इस पलाश फूल का उपयोग करते हैं. पलाश को झारखंड का राजकीय फुल का दर्जा भी मिला हुआ है. जंगल की आग के नाम से विख्यात पलाश में औषधीय गुणों का भंडार है. आयुर्वेद में इससे कृमिनाशक और टॉनिक बनाया जाता है. ये फूल फबासी परिवार का है. इस फूल का वैज्ञानिक नाम ब्यूटिया मोनोस्पर्मा है. पलाश के बीजों में पाया जाने वाली एंटीडायबिटिक डायबिटीज की समस्या को नियंत्रित करने में सहायक होता है.
इनपुट- ब्रजेश कुमार