गुमला में 6 लाख रुपये के इनामी नक्सली ने डीआईएजी के समक्ष किया आत्मसमर्पण
वर्ष 2001 में गिरफ्तार होकर जेल चला गया. जेल में बंद रहने के दौरान उग्रवादी संगठन के कई सदस्यों से जान पहचान हुई. 2005 में जेल से बाहर आने के बाद पारिवारिक विवाद के कारण भाकपा माओवादी के कमांडर मनोज नगेसिया और सिलबेस्तर लकड़ा के संपर्क में आया और दस्ता के साथ रहने लगा.
गुमला: नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के सब जोनल कमांडर खुदी मुंडा ने मंगलवार को पुलिस केंद्र गुमला में रांची जोन के डीआईजी अनूप बिरथरे और गुमला पुलिस प्रशासन के समक्ष आत्मसमर्पण किया. नक्सली के ऊपर कुल 6 लाख रुपैया का ही नाम था. 5 लाख रुपये झारखंड सरकार और 1 लाख रुपये एनआईए के द्वारा घोषित था. डीआईजी अनूप बिरथरे ने माला पहनाकर और शॉल ओढ़ाकर नक्सली का स्वागत किया.
डीआईजी अनूप बिरथरे ने कहा कि नक्सली के परिजनों को इनाम की राशि के अलावा गुमला में 4 डिसमिल जमीन, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान, बच्चों को निशुल्क शिक्षा के अलावा अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा. उन्होंने बचे हुए अन्य नक्सलियों से भी सरेंडर करने की अपील की. वहीं गुमला एसपी डॉक्टर एहतेशाम वकारिब, डीडीसी हेमंत कुमार सती, सीआरपीएफ के कमांडेंट खालिद खान ने भी नक्सली का स्वागत किया. नक्सली झारखंड राज्य के 3 जिले खूंटी, सिमडेगा और गुमला में पिछले 18 वर्षों से सक्रिय था और कई नक्सली घटनाओं को अंजाम दे चुका था. इसके खिलाफ विभिन्न थानों में 50 मामले दर्ज है.
नक्सली खुद ही मुंडा ने कहा कि 1996 में अपने चचेरे भाई पूर्व में माओवादी का सक्रिय सदस्य बॉबी मुंडा के लिए सामान पहुंचाने और पुलिस के आवागमन की सूचना देने का कार्य करता था. 1999 में चचेरा भाई के साथ लापुंग थाना क्षेत्र में हथियारों की लूटपाट तथा कई नक्सली घटनाओं में शामिल रहा. वर्ष 2001 में गिरफ्तार होकर जेल चला गया. जेल में बंद रहने के दौरान उग्रवादी संगठन के कई सदस्यों से जान पहचान हुई. 2005 में जेल से बाहर आने के बाद पारिवारिक विवाद के कारण भाकपा माओवादी के कमांडर मनोज नगेसिया और सिलबेस्तर लकड़ा के संपर्क में आया और दस्ता के साथ रहने लगा.
वर्ष 2008 में पालकोट कोलेबिरा सिमडेगा गुमला क्षेत्र का एरिया कमांडर बनाया गया. इसके बाद वर्ष 2009 में रीजनल कमांडर सिलबेस्तर लकड़ा के द्वारा पालकोट सिमडेगा क्षेत्र का सब जोनल कमांडर बनाया गया. सरकार की आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर मैंने सरेंडर.
इनपुट- रणधीर निधि
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