झारखंड में मनाया जाने वाला सरहुल त्योहार हर साल वसंत ऋतु के दौरान मनाया जाता है. जब के साल के पेड़ों की शाखाओं पर नए फूल आते हैं तर इस त्योहार को मनाया जाता है. इस त्यौहार में ग्राम देवता की पूजा की जाती है. इस त्योहार में साल के फूलों से लोग अपने कुल देवता की पूजा करते हैं. सरहुल में ही पाहन इस साल होने वाले बारिश की भी भविष्यवाणी भी करत हैं.
झारखंड में मनाया जाने वाला ये त्योहार करम देवता के लिए मनाया जाता है. करम देवता को बिजली, युवाओं और शबाब का देवता माना जाता है. इस त्योहार हर साल भाद्र महीने में चंद्रमा की 11वीं तारीख को मनाया जाता है. इस दिन झारखंड के युवा जंगल में जाते हैं और लकड़ी, फल, और फूल इकट्ठा करके लाते हैं.
झारखंड के आदिवासी समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार जावा अच्छी प्रजनन क्षमता और बेहतर घर की उम्मीद के लिए मनाया जाता है. करमा पूजा से एक हफ्ते पहले मनाए जाने वाले इस त्योहार में अविवाहित लड़कियां जावा उठाती हैं और पूजा करती हैं. अविवाहित महिलाएं एक छोटे से डिब्बे को अंकुरित बीजों से सुशोभित करती हैं.
पौष महीने के आखिरी दिन में झारखंड में टुसु परब मनाया जाता है. इस त्योहार को फसल के उत्सव के तौर पर मनाया जाता है. इस त्योहार में अविवाहित लड़कियां बांस/लकड़ी के फ्रेम को रंगीन कागज से सजाने के बाद फिर उसे पास नदी में प्रवाहित कर देती हैं.
झारखंड में इस त्योहार को हर बारह साल में एक बार मनाया जाता है. इस त्योहार में महिलाएं पुरुष परिधान पहनकर जंगलों में शिकार के लिए निकल जाती हैं.
झारखंड के जातीय लोगों के बीच मनाया जाने वाला भगता परब ग्रीष्म और वसंत ऋतु के बीच मनाया जाता है. भगता परब को बूढ़ा बाबा की श्रद्धा के रूप में मनाया जाता है. इस त्योहार में लोग पूरे दिन उपवास करते हैं और स्नान करने वाले पुजारी को सरना मंदिर के रूप में पहचाने जाने वाले जातीय मंदिर में ले जाया जाता है.
बिहार के साथ साथ झारखंड में भी छठ पूजा बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है. इस त्योहार में भगवान सूर्य की पूजा की जाती है. इसे सूर्य षष्ठी के रूप में भी जाना जाता है.
ट्रेन्डिंग फोटोज़