रांचीः Parasnath Sammed Shikhar Ji: झारखंड में सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल बनाए जाने के नोटिफिकेशन के बाद से जैन श्रद्धालु लगातार इसका विरोध कर रहे हैं. यह मामला अब और तूल पकड़ता जा रहा है. देशभर में इसके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं, वहीं झारखंड में दिगंबर और श्वेतांबर जैन समुदाय एकजुट हो गए हैं. इसी के विरोध स्वरूप जैन समुदाय के लोगों ने मंगलवार को रांची में मौन जुलूस निकाला. इसके साथ ही जैन समाज का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल रमेश बैस से भी मुलाकात करेगा व उन्हें ज्ञापन भी सौंपा जाएगा.


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जैन मंदिर से मौन जुलूस
ज्ञापन सौंपने से पहले श्वेतांबर और दिगंबर समुदाय के लोग संयुक्त रूप से मौन जुलूस निकाला. इसकी शुरुआत अपर बाजार कोतवाली थाना स्थित जैन मंदिर से हुई.जुलूस निकालते हुए ये लोग राजभवन तक जाएंगे. इनका एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मुलाकात करेगा. राज्यपाल रमेश बैस पहले से ही जैन समुदाय के पक्ष में कदम उठा चुके हैं. उन्होंने बीते हफ्ते एक पत्र लिखकर मामले को नियंत्रित करने के संबंध में बात कही थी.  झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस (Ramesh Bais) ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव को पिछले हफ्ते पत्र लिखा था.पत्र में उन्होंने मांग की थी कि 'जैन धर्म के पवित्र स्थल सम्मेद शिखर जी को तीर्थ स्थल ही रहने दिया जाए. उन्होंने लिखा है कि 'यह मामला जैन समाज की भावनाओं से जुड़ा हुआ है. इसे ध्यान में रखकर इस विषय पर फिर से विचार करना चाहिए.'


ये है सम्मेद शिखर जी का पौराणिक महत्व
जैन समाज में सम्मेद शिखर जी का धार्मिक महत्व है. इसे जैन समाज के लोग हिमालय की ही तरह पवित्र मानते हैं. जैन धर्म की पुराण कथाओं के मुताबिक, सम्मेद शिखर जी में 20 तीर्थकरों को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी. बीते दिनों इस पारसनाथ पहाड़ी पर कुछ युवकों द्वारा शराब आदि के सेवन किए जाने का वीडियो वायरल हुआ था, जिसके बाद ये मामला सामने आया.वहीं साल 2019 में केंद्र सरकार ने इसे इको सेंसेटिव जोन घोषित किया था. इसके बाद झारखंड सरकार ने इसे पर्यटन क्षेत्र घोषित किया. जैन समाज के लोगों का कहना है कि पर्यटन क्षेत्र घोषित होने के बाद यहां पवित्रता नहीं रह जाएगी.