झारखंड में सियासी लिफाफे का सस्पेंस जारी, सियासत तेज
झारखंड में जारी राजनीतिक अनिश्चितता समाप्त होने का नाम नहीं ले रही है. एक तरफ हेमंत सोरेन सरकार फटाफट अपने मेनिफेस्टो के कामों को आकार देने में लगी है वहीं दूसरी तरफ झारखंड के सियासत की गर्मी राज्यपाल की चुप्पी ने बढ़ा दी है.
रांची : झारखंड में जारी राजनीतिक अनिश्चितता समाप्त होने का नाम नहीं ले रही है. एक तरफ हेमंत सोरेन सरकार फटाफट अपने मेनिफेस्टो के कामों को आकार देने में लगी है वहीं दूसरी तरफ झारखंड के सियासत की गर्मी राज्यपाल की चुप्पी ने बढ़ा दी है. ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में हेमंत सोरेन के खिलाफ आए चुनाव आयोग के फैसले का लिफाफा राजभवन से अभी तक खुला नहीं है. ऐसे में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गुरुवार को नई दिल्ली रवाना होने से पहले राज्यपाल रमेश बैस से मिलने पहुंचे थे.
JMM की तरफ से चुनाव आयोग को भेजा गया है पत्र
बता दें कि राज्य में लिफाफे के सस्पेंस पर सियासत जारी है. इसी बीच मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री की राज्यपाल से मुलाकात और पार्टी के मुख्यमंत्री के अधिवक्ता के द्वारा केंद्रीय चुनाव आयोग को पत्र भेजना मुख्यमंत्री के नए मास्टर स्ट्रोक के तौर पर देखा जा रहा है.
मुख्यमंत्री के अधिवक्ता वैभव तोमर द्वारा केंद्रीय चुनाव आयोग को लिखा गया है पत्र
राज्य के वर्तमान राजनीतिक हालात के बीच मुख्यमंत्री के अधिवक्ता वैभव तोमर द्वारा केंद्रीय चुनाव आयोग को पत्र लिखा गया है. वहीं जेएमएम ने एकबार फिर राजभवन पर निशाना साधते हुए कहा कि राजभवन को चुनाव आयोग के मंतव्य को बिना देरी करते हुए तुरंत जारी करना चाहिए. राजभवन के साथ-साथ जेएमएम के निशाने पर बीजेपी और आजसु पार्टी भी रही. JMM के वरिष्ठ नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने बीजेपी और आजसू को इस दौरान मीर जाफर और जयचंद तक कह डाला.
सुप्रियो भट्टाचार्य ने बीजेपी और आजसू को मीर जाफर और जयचंद कहा
वहीं सुप्रियो भट्टाचार्य ने आगे कहा कि स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण को लेकर हालिया कैबिनेट के फैसले को जेएमएम ने ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि हमारी सरकार की कोशिश इससे जुड़े कानूनी अड़चनों को दूर करने की है लेकिन बीजेपी की मंशा कुछ और है.
राज्य के वर्तमान राजनीतिक हालात के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लगातार अपने दांव से विरोधियों को चित्त करते नजर आ रहे हैं. सत्तारूढ़ दल झारखंड मुक्ति मोर्चा जहां अपनी सरकार के फैसले से गदगद है और 2024 में सियासी तौर पर खुद को मजबूत समझ रही है. वहीं विपक्षी दल बीजेपी की हर वो कोशिश नाकाम होती नजर आ रही है जिन कोशिशों के सहारे बीजेपी हेमंत सरकार को घेरने में जुटी थी.
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