झारखंड के एक दिवसीय विशेष सत्र में क्या है खास, जानिए क्या है सरकार की तैयारियां
Jharkhand assembly : यह विशेष सत्र, मॉनसून सत्र का ही विस्तारित सत्र है. इस सत्र में सरकार दो विधेयक लेकर आने वाली है. दोनों ही बिल में नौंवीं सूची में शामिल करने का प्रस्ताव है. बदलती राजनीतिक परिस्थितियों में विधानसभा का यह सत्र महत्वपूर्ण होगा
रांची: Jharkhand assembly :झारखंड विधानसभा में आज 1 दिन का विशेष सत्र बुलाया गया है, इस विशेष सत्र को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने पूरी तरह से कमर कस ली है, भाजपा के विधायकों ने कहा कि 1932 खतियान और ओबीसी आरक्षण का हम समर्थन करते हैं, मगर इन दोनों बिल पर राज्य सरकार कहीं ना कहीं अपनी राजनीति रोटी सेकने का काम कर रही हैं जिसका हम लोग जवाब देंगे. भाजपा के विधायकों ने कहा कि पार्टी ने विधायक दल की बैठक की है और बैठक में सरकार की गलत नीतियों का जवाब देने पर चर्चा की गई है. जब-जब सरकार को कोई ईडी का पत्र आता है तो सरकार को ओबीसी और 1932 खतियान की याद आता है, 3 साल से सरकार को इस बिल की याद क्यों नहीं आ रही थी, आनन-फानन में बिल में कई खामियां होने के बावजूद इसे पास कराने की हड़बड़ी क्यों है, इन कई मुद्दों पर भारतीय जनता पार्टी विधानसभा सत्र में अपनी बातें रखेगी.
70 दिनों में दो विशेष सत्र
यह विशेष सत्र, मॉनसून सत्र का ही विस्तारित सत्र है. इस सत्र में सरकार दो विधेयक लेकर आने वाली है. दोनों ही बिल में नौंवीं सूची में शामिल करने का प्रस्ताव है. बदलती राजनीतिक परिस्थितियों में विधानसभा का यह सत्र महत्वपूर्ण होगा. इसके पहले बीते पांच सितंबर को भी हेमंत सोरेन सरकार ने विधानसभा का एकदिवसीय विशेष सत्र बुलाकर विश्वास मत का प्रस्ताव पारित किया था. अब 70 दिनों के अंतराल में एक और विशेष सत्र बुलाए जाने के साथ राज्य में विधायी कार्यवाही के इतिहास में एक और नया रिकॉर्ड बन जाएगा. झारखंड विधानसभा के पिछले 23 वर्षों के इतिहास में यह पहली बार होगा, जब दो नियमित सत्रों मॉनसून सत्र और शीतकालीन सत्र की अंतराल अवधि में दो बार विशेष सत्र बुलाए गए हैं.
मेनिफेस्टों के वादों को पूरा किया
संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा है कि झारखंड बनने के पश्चात यहां के लोगों की जो मांगे थी, 1932 के आधार पर स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण. 22 सालों तक जनता की आवाज़ उठती रही, हमारी सरकार ने आज राज्यवासियों को तोहफा देने जा रही है जिसका सोशल इम्पैक्ट होगा. हमारे मैनिफेस्टो में पहले से ही ओबीसी आरक्षण दिया हुआ था. अपने मेनिफेस्टो के ज्यादातर वादों को हमने पूरा किया है. झारखंडी हित के अनुरूप यह फैसला लिया गया है. आलमगीर आलम ने बताया कि उन्हें सूचना मिली है कि स्थानीयता को परिभाषित करने को लेकर तैयार विधेयक के संदर्भ में 6 विधायकों ने अपने सुझाव दिए हैं. इन सुझावों पर सरकार निश्चित तौर पर गौर करेगी और जो आवश्यक होगा उसे संशोधित भी किया जाएगा.
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